349 ऋषि प्रसादः जनवरी 2022

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

कर्मयोग से विदेहमुक्ति तक की यात्रा – संत भोले बाबा


ईश्वरार्पण बुद्धि से कर्म करने का नाम ‘कर्मयोग’ है । निष्काम कर्मों का अनुष्ठान करने से अंतःकरण शुद्ध हो जाता है । अंतःकरण शुद्ध होने से ( सद्गुरु का वेदांत-उपदेश हृदय में शीघ्र ठहर कर ) आत्मा का ज्ञान हो जाता है । आत्मज्ञान होने से भोगों की आसक्ति निवृत्त जाती है और भोगों की …

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दृढ़व्रती हो जाओ – पूज्य बापू जी


संत कबीर जी ने कहाः कबिरा जोगी जगत गुरु तजे जगत की आस । जो जग की आशा करे तो जग गुरु वह दास ।। योगी तो जगत का गुरु होता है । आप जगत में से सुख लेने की इच्छा न करें, सुख तो अपने आत्मा का आता है, जगत का तो उपयोग होता …

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ईश्वरीय अंश विकसित कर यहीं ईश्वरतुल्य हो जाओ – पूज्य बापू जी


मनुष्य इन तीन तत्त्वों का मिश्रण हैः पाशवीय तत्त्व, मानवीय तत्त्व और ईश्वरीय तत्त्व । पाशवीय तत्त्व अर्थात् पशु जैसा आचरण । चाहे जैसा खाना-पीना, माता-पिता की हितकारी बात को ठुकरा देना, सामाजिक नीति-नियमों को ठुकरा देना, जैसे ढोर चलता है ऐसे ही मन के अनुसार चलना – ये पाशवीय तत्त्व हैं । मानवीय तत्त्व …

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