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यह घोर अन्याय इतिहास में लिखा जायेगा| डॉक्टर ए.पी. सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्चतम अदालत, राष्ट्रीय महासचिव, बी.एस.के. लॉयर्स फेडरेशन


क्या है षड्यंत्र का कारण ?
जब इस देश में ईसाई मिशनरियाँ तेजी से फैल रही थीं,
गरीबों का बहुत तेजी से धर्मांतरण हो रहा था, उस समय सनातन
धर्म की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाले एकमात्र संत थे पूज्य
संत श्री आशाराम जी बापू, जिन्होंने इस लड़ाई को लड़ा । बापू जी
ने वेलेन्टाइन डे आद को हटा के मातृ-पितृ पूजन दिवस, तुलसी
पूजन दिवस मनवाना शुरु किया । ब्रह्मचर्य, सदाचार आदि को
बढ़ावा दिया, हमारी प्राचीन संस्कृति पर हो रहे प्रहार को रोकने हेतु
संघर्ष किया, संस्कृति का प्रचार-प्रसान किया, गरीबों, दलितों,
शोषितों, पीड़ितों, मजदूरों के उत्थान में, धर्म-रक्षा में अपना जीवन
लगा दिया ।
पूज्य बापू जी के खिलाफ मुहिम चलायी गयी, जिसमें अऩेक
लोग शामिल हुए और एक आपराधिक व राजनीतिक षड्यंत्र के
तहत उन पर झूठा, घृणित केस लगाया गया । जिन्होंने जन-जन
के, असंख्य लोगों के चरित्र को, ब्रह्मचर्य को पराकाष्ठा तक ऊपर
उठाया, उन्हीं पर उसी बात का उलटा केस लगा दिया गया यह
कितनी बड़ी विडम्बना है !
बापू जी के लिए कानून अलग क्यों ?
जिन पर केसों की लाइनें थीं, क्रिमिनल रिकॉर्डस थे, कोरोना
काल में उन्हें भी रिहा किया गया और इतने वयोवृद्ध व्यक्ति, जो

विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं
है, उन्हें छोड़ा नहीं गया जबकि यह उनका हक था ।
अदालत रिहा करते समय आधार माँगती है । पैरोल, जमानत
का यह आधार होता है कि वे स्थायी निवासी हैं ? हाँ हैं, यह बात
करोड़ों लोग कह रहे हैं । क्या कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड है ? नहीं है ।
कहीं विदेश तो नहीं चले जायेंगे ? क्यों जायेंगे ? उनके लिए 432
आश्रम इन्तजार कर रहे हैं, करोड़ों घरों में लोग दीपक जलाने के
लिए इंतजार कर रहे हैं ! चाहे कोरोना काल की रिहाई हो, चाहे
इलाज की या मूल अधिकारों की रक्षा की बात हो, चाहे करोड़ों
लोगों की भावनाओं की बात हो, चाहे एक लोक हितैषी,
राष्ट्रहितकारी संतत्व हो… रिहाई के लिए कितने आधार हैं फिर भी
उन्हें जमानत, अंतरिम जमानत या पैरोल-कुछ भी राहत नहीं दी
गयी ।
अहमदाबाद केस की कहानी गढ़ी गयी
अहमदाबाद केस में 12 साल पुरानी एक झूठी कहानी बतायी
गयी । क्या 12 साल के दौरान अहमदाबाद में पुलिस नहीं थी ?
टेलिफोन नहीं थे ? कहीं कोई चैनल नहीं था ? उस समय की
कोई शिकायत कहीं रिकॉर्ड में है ? नहीं है । एक षड्यंत्र के तहत
कानून बनाया गया । उसके बाद ऐसी कहानी की रचना की गयी ।
जो कानून महिलाओं-बच्चियों की रक्षा के लिए बनाया गया
था उसका घोर दुरुपयोग हो रहा है । बापू जी पर क्रिमिनल केस
लग रहे हैं ! अरे, बापू जी का जहाँ सत्संग हो जाता था, उनकी
ब्रह्मवाणी का लोग श्रवण कर लेते थे वहाँ के अपराधी भी अपराधों
को छोड़ के चरित्रवान सज्जन बन जाते थे ।

इतिहास में लिखा जायेगा कि बापू जी को निहायत झूठे केस
में जेल में रखा गया था, जिन्होंने समाज व देश के निर्माण के
लिए अपना पूरा जीवन लगाया था ।
ऋषि प्रसाद, जनवरी 2023, पृष्ठ संख्या 33 अंक 361
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उच्चतम अदालत का गम्भीर इशारा
देश के लिए खतरा है जबरन धर्मांतरण



धर्मांतरण आज देश के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है । हाल ही में
उच्चतम अदालत ने इस बात को गम्भीरता से लेते हुए कहा कि ‘जबरन
धर्मांतरण न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है बल्कि
देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है । इसे नहीं रोका गया तो
बहुत मुश्किल परिस्थितियाँ खड़ी हो जायेंगी । केन्द्र सरकार इसे रोकने
के लिए कदम उठाये और इस दिशा में गम्भीर प्रयास करे ।’
केन्द्र सरकार की तरफ से अदालत में यह बात रखी गयी कि ‘ऐसे
कई उदाहरण हैं जहाँ चावल, गेहूँ आदि देकर धर्म-परिवर्तन कराये जा रहे
हैं ।’
अदालत आज इस मुद्दे को उठा रही है पर दूरद्रष्टा ब्रह्मवेत्ता संत
पूज्य बापू जी ने तो धर्मांतरण की कूटनीति को आज से कई दशक पूर्व
ही भाँप लिया था । जब भारत में धर्मांतरण-कार्य करने वाली मिशनरियाँ
अपने पाँव जमा रही थीं उस समय से ही पूज्य बापू जी ने उसको रोकने
के लिए भगीरथ प्रयास किये । संतश्री ने दूर-दराज के पिछड़े, गरीब
आदिवासी क्षेत्र, जहाँ लोगों को रोटी का लालच दिखाकर, उनकी मजबूरी
का फायदा उठा के धर्मांतरित किया जाता है, उऩ क्षेत्रों में सत्संग,
कीर्तन, सत्साहित्य-वितरण आदि के माध्यम से लोगों में धर्मनिष्ठा,
स्वधर्मपालन जैसे संस्कारों का सिंचन किया, उन्हें व्यसनों, कुरीतियों से
बचने हेतु प्रेरित किया, उन्हें व्यसनों, कुरीतियों से बचने हेतु प्रेरित
किया, सनातन धर्म कि महिमा बताकर व आत्मोन्नतिकारक कुंजियाँ दे
के उनको धर्मांतरण का शिकार होने से बचाया और उन्नत जीवन की
ओर अग्रसर किया । गरीबों, आदिवासियों के दुःख-दर्द को समझा, उऩ्हें

आत्मिक प्रेम दिया, उऩको येन-केन प्रकारेण मददरूप हुए… फिर चाहे
उऩकी रोज़ी-रोटी की व्यवस्था के लिए ‘भजन करो, भोजन करो, पैसा
पाओ’ योजना चलाना हो, अनाज आदि जीवनोपयोगी सामग्री बँटवाना व
आर्थिक सहायता करना हो, निराश्रितों के लिए मकान बनवाना हो, दूर
दराज के क्षेत्रों में चल-चिकित्सालय चलवाना हो, शिक्षा, सुसंस्कार-सिंचन
व विद्यार्थी-उपयोगी सामग्री का वितरण हो… । और ये कार्य किसी क्षेत्र
विशेष में ही नहीं चले बल्कि देशभर में फैले पूज्य बापू जी के साधकों
ने अपने-अपने क्षेत्रों में सुचारू रूप से इन कार्यों का संचालन किया ।
हर दीपावली पर तथा अन्य कई अवसरों पर पूज्य बापू जी स्वयं
आदिवासी क्षेत्रों में जाते और भंडारे करवाते तथा स्वयं अपने हाथों से
जरूरतमंदों को मिठाइयाँ, वस्त्र आदि बाँटते ।
पूज्य बापू जी द्वारा धर्मांतरण को रोकने के लिए जो आधारभूत
कार्य किये गये उनके धर्मांतरणकारियों की योजनाएँ विफल होने लगीं ।
इस क्षेत्र में बापू जी के योगदान को सर्वेक्षणकर्ताओं ने अभूतपूर्व बताया

प्रसिद्ध न्यायविद् डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ने कई बार यह तथ्य
समाज के सामने रखा कि “धर्मांतरण कार्यों का प्रतिरोध करने में संत
आशाराम जी बापू सबसे आगे हैं ।”
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री रमेश मोदी जी के
शब्दों में – “हिन्दू संस्कृति की रक्षा में जो योगदान संत आशाराम जी
बापू का है उसके तुल्य कोई मिसाल तो कहीं पर भी आपको देखने को
नहीं मिलेगी, सर्वश्रेष्ठ मिसाल आपको मिलेगी बापू जी के यहाँ । किसी
भी देश की संस्कृति यदि खत्म हो जाती है तो वह देश बचता नहीं है ।”

धर्मांतरण का जाल केवल गरीब-आदिवासी क्षेत्रों में फैलाया गया है
ऐसी बात नहीं है, धर्मांतरण वाले अलग-अलग मुखौटे पहन के धर्मांतरण
का कार्य बड़ी तेजी से करते जा रहे हैं । यह बात धर्मरक्षक दूरद्रष्टा
पूज्य बापू जी से भला कैसे छिप सकती है थी ! अतः बापू जी ने इसके
निवारण के लिए भी अनेक प्रकल्प शुरु किये ।
मैकाले शिक्षा पद्धति और कॉन्वेंट स्कूलों के द्वारा हमारे बच्चे-
बच्चियों को विदेशी कुसंस्कारों का गुलाम बना के उनमें भारतीय
संस्कृति के प्रति नफरत पैदा की जा रही है । पूज्य बापू जी ने इसके
प्रति समाज में जागरूकता लायी, सुसंस्कार-सिंचन हेतु देशभर में हजारों
बाल संस्कार केन्द्र खुलवाये, गुरुकुलों की स्थापना की, विद्यालयों में
योग व उच्च संस्कार शिक्षा कार्यक्रम चलवाया । युवक-युवतियों को सही
मार्ग दिखाया । भारत के कोने-कोने में जाकर अपने सत्संगों द्वारा
देशवासियो के रक्त में शौर्य, निर्भयता और स्वधर्मनिष्ठा के संस्कारों को
भरने का क्रांतिकारी कार्य किया ।
इस प्रकार धर्मांतरणरूपी विषवृक्ष की जड़े जहाँ-जहाँ जमनी चालू
हुईँ वहाँ-वहाँ से उनको उखाड़ने का कार्य पूज्य श्री द्वारा हुआ ।
अपनी मुरादें विफल होती देख धर्मांतरणकारियों ने पूज्य बापू जी
को अपनी राह से हटाने के लिए तरह-तरह के प्रयास शुरु कर दिये ।
उन्हीं प्रयासों के तहत एक झूठा आरोप लगवाकर बापू जी को जेल
भिजवाया गया ।
राष्ट्र को इसका क्या खामियाजा भुगतना पड़ा यह हम लोगों के
अनुभूत शब्दों से जानेंगे, जिन्होंने अपनी आँखों से सच्चाई को देखा है ।
वि.हि.प. के धर्म-प्रसार विभाग के अखिल भारतीय सहमंत्री, श्री
धर्मेन्द्र भावानी जी, जो वर्षों से भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार व

धर्मांतरण रोकने के कार्यों में जमीनी स्तर पर लगे हुए हैं, उऩ्होंने
उच्चतम अदालत द्वारा धर्मांतरण के संदर्भ में कही गयी बात पर चर्चा
के दौरान कहा कि “परम पूज्य पाद आशाराम जी बापू के कारावास जाने
के बाद इस्लाम और ईसाइयत की गतिविधियों में बढावा देशभर में हुआ
है । ईसाई मिशनरियों को टक्कर देने वाली कोई प्रबल हिन्दू शक्ति
कार्यरत थी तो वह थी संत आशाराम जी बापू । यह एकदम सच्चाई है

आप गुजरात के डांग की झुग्गी-झोंपड़ियों में जाइये, दाहोद में
जाइये, कच्छ के, डीसा के, बनासकांठा के बॉर्डर पर जाइये, ओड़िशा में,
महाराष्ट्र में, छत्तीसगढ़ में, मध्यप्रदेश में, राजस्थान में, उत्तर प्रदेश में
जाइये, झारखंड में, बंगाल में, तमिलनाडू में जाइये… वहाँ के झुग्गी-
झोंपड़यों, गिरि-कंदराओं में रहने वाले, प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने
जीवन का गुजारा करने वाले बंधुओं के पास पूज्यपाद आशाराम जी बापू
के शिष्य गये हैं इस बात के अऩेक प्रमाण मिलेंगे ।
जहाँ-जहाँ बापू जी के भण्डारे होते थे वहाँ सभी जगह पर धर्मांतरण
पर एकदम रोक लग गयी थी और बंधु पुनः स्वधर्म में आकर अपने
पुरखों की जड़ों के साथ जुड़ रहे थे । बापू जी के अंदर होने से वास्तव
में विधर्मियों की ताकत बढ़ी है ।
जिन्होंने धर्मांतरण को रोका, जिन्होंने सैंकड़ों बंधु-बांधवों के हृदय
के अंदर धार्मिक ज्योति (धर्मनिष्ठा) प्रकट की, जिनके खिलाफ कोई
ठोस सबूत नहीं है, ऐसे राष्ट्रहितैषी महान संत पूज्यपाद आशाराम जी
बापू जेल की सलाखों के पीछे नहीं अपितु इस देश के 100 करोड़
हिन्दुओं के बीच में रहने चाहिए इसलिए मैं आग्रहपूर्वक निवेदन करता हूँ
कि बापू जी को तुरन्त रिहा किया जाय ।

इस देश में बड़े-बड़े अपराधी, आतंकवादी छूट सकते हैं लेकिन
सनातनी परम्परा को टिकाने वाले संत प्रताड़ित हो रहे हैं । (उनको
शारीरिक अस्वस्थता में भी जमानत नहीं मिल सकती), उऩ्हें 10-10
वर्षों से कारावास में रखा गया है ।
मैं केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को कहना चाहता हूँ कि बापू
जी को शीघ्र रिहा किया जाय और धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी कड़ा
कानून बने ।
इस देश के साधु-संतों से निवेदन करता हूँ, सभी संगठनों को भी
कहना चाहता हूँ कि यही समय हिन्दू धर्म की रक्षा करने का है ।
धर्मांतरण जैसे शत्रु को परास्त करने के लिए बापू को छुड़ा के धर्मांतरण
रोकने वाली गतिविधियों को फिर से देशव्यापी स्तर पर शुरु करके
समाज को बचाने के यज्ञ में हम सब सहभागी हों ।”
स्पष्ट् है कि देश और संस्कृति पर हो रहे इस कुठाराघात से बचने
के लिए लोक संत पूज्य बापू जी की, उनके मार्गदर्शन की, उनकी दिव्य
और दूरगामी दृष्टि की समाज को बहुत आवश्यकता है । उनके खिलाफ
हो रहे इन षड्यन्त्रों की सच्चाई जन-जन तक पहुँचायी जाय व उन्हें
ससम्मान रिहा किया जाय, जिससे समाज में लुप्त हो रही हिन्दू धर्म के
प्रति आस्था को पुनर्जीवित किया जा सके व राष्ट्र को दिग्भ्रमित होने से
बचाया जा सके, इस संकटमय स्थिति से उबारा जा सके ।
संकलकः रू. भा. ठाकुर
ऋषि प्रसाद, जनवरी 2023, पृष्ठ संख्या 8-10 अंक 361
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पूज्य बापू जी का विश्वमानव को उपहारः विश्वगुरु भारत कार्यक्रम


पूर्वकाल में घर-घर में तुलसी, गीता, गोमाता – भारतीय संस्कृति क ये धरोहरें विद्यमान होती थीं, जिससे लोग स्वस्थ, प्रसन्न व शांत रहते थे । लेकिन धीरे-धीरे इन्हें घरों से बेघर कर दिया गया जिसके कारण समाज रोगग्रस्त व अशांत रहने लगा । वर्तमान समय में इस अशांति ने ऐसा विकराल रूप धारण किया कि वर्ष के अंतिम दिनों में होने वाली आपराधिक प्रवृत्तियों, आत्महत्याओं में विशेषरूप से बढ़ोतरी होने लगी । इसका प्रमुख कारण था 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में समाज में बढ़ती दुष्प्रवृत्तियाँ जैसे, मांसाहार, शराब-सेवन आदि । भूले-भटके, नीरस समाज को सच्ची राह मिले व जनजीवन में सरसता, सात्त्विकता, आरोग्य, प्रभुप्रीति आदि का प्रादुर्भाव हो इस उद्देश्य से 2014 में ब्रह्मवेत्ता संत पूज्य बापू जी ने ‘विश्वगुरु भारत कार्यक्रम’ का अनुपम उपहार समाज को दिया । पूज्य बापू जी ने सब प्रकल्पों का अंतिम लक्ष्य यह है कि जीवात्मा अंतरात्मा-परमात्मा के रस को पा ले और अपने सच्चिदानंदस्वरूप को जानकर मुक्त हो जाय । 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक ‘विश्वगुरु भारत कार्यक्रम’ के पूज्य श्री के आवाहन के फलस्वरूप करोड़ों लोग ‘तुलसी पूजन दिवस’ सपरिवार मनाकर प्रसन्नचित्त हो रहे हैं व स्वास्थ्य लाभ पा रहे हैं, हवन द्वारा पवित्र आभामंडल बना रहे हैं, गौ-गंगा-गीता जागृति यात्राओं से गाँव-गाँव, शहर-शहर में सुख-समृद्धि व आरोग्य प्रदायिनी गौमाता की सेवा-पूजा के लाभ, गीता के दिव्य ज्ञान एवं गंगा के माहात्म्य आदि का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं । योग प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से दवाइयों की गुलामी और चीर-फाड़ के बिना रोगमुक्त जीवन की ओर चल रहे हैं । व्यसनमुक्ति अभियान के द्वारा युवा पीढ़ी को विनाश के मार्ग पर जाने से बचा रहे हैं, भूले-भटकों को सच्चा रास्ता दिखा रहे हैं । अध्यात्म मार्ग के पथिक अंतर्मुख हो ‘ध्यान-योग शिविरों’ में अपनी सुषुप्त शक्तियों को जगा रहे हैं । यह सब भगीरथ कार्य पूज्य श्री के संकल्प से, उनकी प्रेरणा और कृपाशक्ति से उनके असंख्य प्यारे भगवान के दुलारे कर रहे हैं । मानवता उनकी आभारी है, उनकी ऋणी है । आइये, हम सब भी पूज्य श्री के इस दैवी कार्य से जुड़कर अपना और अपने सम्पर्क में आने वालों का जीवन धन्य करें तथा शुद्ध ज्ञान और आत्मसुखरूपी परम लाभ को प्राप्त कर लें । जब किसी की सेवा के फलस्वरूप हमारा जीवन परिवर्तित हुआ है तो हम भी विश्वगुरु भारत के ज्ञान का परचम विश्वभर में व्यापकरूप से फहराने के इस महायज्ञ में कोई-न-कोई सेवा खोज लें । स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2022, पृष्ठ संख्या 2 अंक 360 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ