298 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सर्व सफलतादायिनी गौ


गोपाष्टमी 28 अक्तूबर 2017 देशी गाय मानव जाति के लिए प्रकृति का अनुपम वरदान है। जिस घर में गाय की सेवा हो, वहाँ पुत्र-पौत्र, धन, विद्या, सुख आदि जो भी चाहिए मिल सकता है। महर्षि अत्रि ने कहा हैः “जिस घर में सवत्सा धेनु (बछड़े वाली गाय) नहीं हो, उसका मंगल-मांगल्य कैसे होगा ?” गाय …

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श्री अष्टावक्र गीता पर पूज्य श्री एक अमृतवचन


अष्टावक्र जी कहते हैं- धर्माधर्मौ सुखं दुःखं मानसानि न ते विभो। न कर्ताऽसि न भोक्ताऽसि मुक्त एवासि सर्वदा।। ‘ओ अनंत (व्यापक) ! धर्म-अधर्म एवं सुख-दुःख का केवल मन से ही संबंध है, तुमसे नहीं। तुम न कर्ता हो और न भोक्ता हो। तुम स्वरूपतः नित्य मुक्त ही हो।’ (अष्टावक्र गीताः 1.6) सुख-दुःख, धर्म-अधर्म, पुण्य-पाप – …

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वीरांगना का शौर्य और छत्रपति का मातृभाव


दक्षिण भारत का एक छोटा सा राज्य था बेल्लारी। उसका शासक कोई वीर पुरुष नहीं बल्कि शौर्य की प्रतिमा विधवा नारी मलबाई देसाई थीं। छत्रपति शिवाजी की सेना ने बेल्लारी पर चढ़ाई की। शिवाजी की विशाल सेना का सामना वहाँ के मुट्ठीभर सैनिक कैसे करते ! किंतु बेल्लारी के सैनिक खूब लड़े। छत्रपति ने उन …

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