पिछले 14 वर्षों से बाल युवा पीढ़ी को सही दिशा दे रहे तथा जन-जन के जीवन में संयम, सदाचार, निर्दोष पतित प्रेम का संचार कर रहे ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का इस वर्ष और भी व्यापक रूप देखने को मिला ।
उत्तरायण के बाद से ही अपने-अपने गाँवों, शहरों के विद्यालयों-महाविद्यालयों, सोसायटियों-कॉलोनियों में प्रारम्भ हुआ मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम आयोजित करवाने का साधकों का अभियान 14 फरवरी के बाद भी चलता रहा । गली-कूचों तक मातृ-पितृ पूजन का संदेश पहुँचाने हेतु कीर्तन यात्राएँ निकाली गयीं । 14 फरवरी से पहले ही चहुँओर मातृ-पितृ पूजन दिवस की गूँज सुनाई देने लगी ।
14 फरवरी को देश-विदेश के संत श्री आशाराम जी आश्रमों व गुरुकुलों में हुए कार्यक्रमों के अलावा भी जगह-जगह भव्य कार्यक्रम हुए । न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, कनाडा, यु.ए.ई., ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, नेपाल आदिव विश्व के लगभग 200 देशों में यह पवित्र प्रेम-दिवस बड़े उत्साहपूर्वक मनाया गया ।
‘बच्चे-बच्चियाँ, माता-पिता – सभी को निर्दोष, पवित्र प्रेम, ईश्वरीय आनंद मिले’ – यह पूज्य बापू जी का संकल्प इन कार्यक्रमों में साकार होता देखने को मिला । करोड़ों माता-पिताओं एवं बच्चों के गदगद हृदय और आँखों से बहती प्रेमाश्रुधाराएँ दर्शकों के हृदय को भी पावन कर रही थीं ।
सभी जाति-वर्गों, धर्मों, मत-पंथ-सम्प्रदायों के लोगों, गणमान्यों एवं सुप्रसिद्ध हस्तियों ने इन कार्यक्रमों में भाग लिया और हृदयपूर्वक इस अभियान का स्वागत किया गया । सभी के हृदय से एक ही भाव छलक रहा था कि ‘प्राणिमात्र के हितैषी पूज्य बापू जी की इस विश्वकल्याणकारी पहल के लिए उनके प्रति जितनी कृतज्ञता व्यक्त की जाय उतनी कम है ।’
वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण के इस भगीरथ कार्य की अनेक राजनेताओं, गणमान्यों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की । (पढ़ें इस अंक व लोक कल्याण सेतु, फरवरी 2020 के आवरण पृष्ठ 2)
युवा सेवा संघ, महिला उत्थान मंडल एवं श्री योग वेदांत सेवा समितियों द्वारा इसे राष्ट्रीय पर्व घोषित करने हेतु देश के विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रपति व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपे गये ।
न केवल ट्विटर (सोशल मीडिया) पर मातृ-पितृ पूजन दिवस के हैशटैग देश के टॉप ट्रेंडस में बने रहे बल्कि प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी मातृ-पितृ पूजन दिवस चर्चा का विषय बना रहा ।
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