मातृ पितृ पूजन दिवस – 14 फरवरी
ये कौन सा कल्चर है ? ये कौन सा धर्म है ? क्या यही प्रेम दिवस है ?
साढ़े बारह लाख कन्याएँ स्कूल जाते-जाते प्रेगनेन्ट हो जातीं हैं | कितनी बदकिस्मती है उन देशों की | उसमें पाँच लाख कुछ हजार कन्याएँ एबॉर्शन करा लेती हैं | और बाकी की सात लाख कुछ हजार कन्याएँ माँ बन जाती हैं | स्कूल जाते-जाते माँ बन जाना कितनी बदकिस्मती है ? और वो गंदगी हमारे देश को भी आँधी की तरह घेर रही है | छोरी छोरे की सहेली बन जाए, छोरा छोरी का सहेला बन जाए ये बर्बादी है | भविष्य उज्ज्वल नहीं है उन छोरे-छोरियों का | जब तक कंवारे हैं तो लड़के लडकों की दोस्ती और कन्याएँ कन्याएँ की दोस्ती | लड़का लडकी को दोस्त बनावे, लड़की लड़के को दोस्त बनाये ये पाश्च्यात उच्लंगता की गंदगी हमारे देश को तबाही कर रही है | फिर उसमें और बड़ी तबाही आई वैलेंटाइन डे १४ फरवरी | छोरा-छोरी को फुल दे और मैं तुझे प्यार करता हूँ | छोरी-छोरे को फुल दे, मैं तुझे प्यार करती हूँ | सत्यानाश हो जाता है | छोरा छोरी को फुल दे के प्यार के बहाने एक दुसरे को, मैं बोल नहीं सकता हूँ, ऐसी गंदी हरकतें करके खाली हो जाते हैं फिर याद नहीं रहता, मार्क अच्छे नहीं आते | और माँ-बाप भला चाहते हैं, उन माँ-बाप को काटने को आ जाते हैं छोरा छोरी | तो वैलेंटाइन डे ये करके पाश्च्यात गंदगी ये करके हमारे हिन्दुस्तान को तोड़ गयी | तो मैं उनका विरोध नहीं करता हूँ लेकिन मैं उनका भी भला चाहता हूँ के वैलेंटाइन डे के बदले १४ फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ | अब इसको इंटरनेशनल ढंग से मनाइये | आप देखना आने वाले १४ फरवरी को इसका क्या रंग-रूप होता है | अभी तो हमने शुरुवात की है | अब इसको एकदम व्यापक करेंगें | मुसलमान भी चाहते हैं के बेटे-बेटी लोफर ना हों | हिंदू भी चाहते हैं, इसाई भी चाहते हैं, यहूदी भी चाहते हैं | ऐसा कोई माँ-बाप नहीं चाहता के मेरे छोरे-छोरी लोफर हों | हमारे मुँह पे लात मारे | हमको छोड़कर आवारा की नाई भटके | कोई नहीं चाहते | तो सभी की भलाई का मैंने संकल्प किया है | ऐसी मातृ-पितृ पूजन दिवस में ५ भुत, देवी-देवता, और मेरे साधक और मुसलमान, हिंदू, इसाई, पारसी, सभी जुड़ जाएँ, ऐसे मैं अभी, आज, यहाँ, रविवार की सप्तमी को ऐसा मैं सोचकर संकल्प आकाश में फैला रहा हूँ | देवता सुन ले, यक्ष सुन लें, गंधर्व सुन लें, पितृ लोक सुन लें की भारत में और विश्व में मातृ-पितृ पूजन दिवस का कार्यक्रम मैं व्यापक करना चाहता हूँ और सभी लोग अपने माता-पिता, दादा-दादी, अपने पितरों का सत्कार करें | ऐसा मैं एक अभियान चलाना चाहता हूँ, उसमें आप सभी की सम्मति मैं चाहता हूँ और आप सहमत हो | हरि ॐ, ॐ, ….. इस दैवी कार्य में आप सहमत हो |