058 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ईश्वर प्राप्ति इसी जन्म में संभव है…. पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू


  कई लोगों को होता है कि ʹहम सियाराम-सियाराम…. हरि ૐ-हरि ૐ…ʹ करते हैं, शिविर भरते हैं, शराब-कबाब छोड़ दिया है फिर भी भगवान नहीं मिलते। क्यों ? जो चीज अधिक आसान होती है, आसानी से मिलती है। उसका लाभ भी तुच्छ होता है, छोटा होता है। जिस मौसम में जो सब्जी या फल ज्यादा …

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गीता में प्रपत्तियोग


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात्। भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम्।। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- “हे अर्जुन ! मेरे में आविष्ट चित्तवाले उन भक्तों का मैं मृत्युरूप संसार-समुद्र से शीघ्र ही उद्धार करने वाला बन जाता हूँ।” गीताः 12.7 संसार एक सागर है। जैसे सागर में जल-ही-जल है ऐसे ही संसार …

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