230 ऋषि प्रसादः फरवरी 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

होली मनायें तो ऐसी


(होलिका दहनः 7 मार्च 2012, धुलेंडीः 8 मार्च 2012) (पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी वाणी से) होली अगर हो खेलनी, तो संत सम्मत खेलिये। संतान शुभ ऋषि मुनिन की, मत संत आज्ञा पेलिये।। तुम संतों और ऋषि-मुनियों की संतान हो। यदि तुम होली खेलना चाहते हो तो भाँग पीकर बाजार में नाचने की जरूरत नहीं …

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होलिकोत्सव हितोत्सव है


(पूज्य बापू जी की सत्संग-गंगा से) होलिकोत्सव के पीछे प्राकृतिक ऋतु-परिवर्तन का रहस्य छुपा है। ऋतु परिवर्तन के समय जो रोग होते हैं उनको मिटाने का भी इस उत्सव के पीछे बड़ा भारी रहस्य है तथा विघ्न-बाधाओं को मिटाने की घटनाएँ भी छुपी हैं। रघु राजा के राज्य में ढोण्ढा नाम की राक्षसी बच्चों को …

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ज्ञानी के भीतर भेद नहीं


(पूज्य श्री के सत्संग-प्रवचन से) ब्रह्मनिष्ठ महात्मा होते तो हैं ज्ञानी लेकिन जड़वत् लोकमाचरेत्…. अज्ञानी के जैसा आचरण करते हैं। उनको यह नहीं होता कि ʹमैं ब्रह्मवेत्ता हूँ, अब यह कैसे होगा मेरे से ?ʹ, यह पकड़ नहीं होती। ज्ञानी तो अपने सहित सारे विश्व को अपना आत्मा मानते हैं। ज्ञानी के भीतर भेद नहीं …

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