071 ऋषि प्रसादः नवम्बर 1998

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संत महिमा


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू गुजरात में नड़ियाद के पास पेटलाद नामक ग्राम में रमणलाल नाम के एक धर्मात्मा सेठ रहते थे। वे चाहते थे क हमारे पेटलाद में शराब की बोतलें नहीं अपितु हरिनाम की, हरिरस की प्यालियाँ बँटे। साधु संतों के प्रति उनका बड़ा झुकाव था। अति पापियों को तो संत-दर्शन की रुचि …

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श्रीहरि की स्मृति से ही मनुष्य जन्म सार्थक


पूज्यपाद संत श्री आसाराम जी बापू ʹश्रीरामचरितमानसʹ के उत्तरकाण्ड के 78वें दोहे में गोस्वामी तुलसीदासजी ने काकभुशुण्डिजी से कहलाया हैः रामचन्द्र के भजन बिनु जो चह पद निर्बान। ग्यानवंत अपि सो नर पसु बिनु पूंछ बिषान।। ʹश्रीरामचन्द्रजी के भजन बिना जो मोक्षपद चाहता है, वह मनुष्य ज्ञानवान होने पर भी बिना पूँछ और सींग का …

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श्रीमद् भगवद् गीताः एक परिचय


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू परमात्मा अनादि और अनंत है। सनातन धर्म के ऋषि-मुनियों ने वेदों, उपनिषदों और पुराणों में उस अनादि-अनंत परमात्मा के ज्ञान का, उसके स्वरूप का और उसकी लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया है। आर्षदृष्टा भगवान वेदव्यासजी ने अपने ग्रंथों में सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ ʹश्रीमहाभारतʹ की रचना की, जिसे ʹपंचमवेदʹ कहा जाता …

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