292 अप्रैल 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

स्वाध्याय व उसकी आवश्यकता


क्या है स्वाध्याय ? आत्मसाक्षात्कारी ज्ञानीजनों द्वारा रचित आध्यात्मिक शास्त्रों एवं पुस्तकों का अध्ययन ‘स्वाध्याय’ कहलाता है। पवित्र ग्रंथों का दैनिक पारायण स्वाध्याय है। यह राजयोग के नियम का चौथा अंग है। आत्मस्वरूप के विश्लेषण को या ‘मैं कौन हूँ ?’ के ज्ञान को ही स्वाध्याय की संज्ञा दी जाती है। किसी भी मंत्र के …

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हे देवियो ! अपनी महिमा को पहचानो


श्री माँ आनंदमयी जयंतीः 30 अप्रैल 2017) माता-पिता के संस्कारों का संतान पर प्रभाव श्री आनंदमयी माँ के पिता विपिनहारी भट्टाचार्य एवं माता श्रीयुक्ता मोक्षदासुंदरी देवी (विधुमुखीदेवी) – दोनों ही ईश्वर-विश्वासी, भक्तहृदय थे। माता जी के जन्म से पहले व बहुत दिनों बाद तक इनकी माँ को सपने में तरह-तरह के देवी देवताओं की मूर्तियाँ …

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सर्वरोगहारी निम्ब (नीम) सप्तमी


निम्ब सप्तमीः 2 मई 2017 ‘भविष्य पुराण’ ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतु जी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) की महिमा बताते हुए कहते हैं- “इस दिन निम्ब पत्र का सेवन किया जाता है। यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरने वाली है। इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा …

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