097 ऋषि प्रसादः जनवरी 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

तीन तत्त्वों का मिश्रणः मनुष्य


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से मनुष्य का शरीर इन तीन तत्त्वों का मिश्रण हैः पाशवीय तत्त्व, मानवीय तत्त्व और ईश्वरीय तत्त्व। पाशवीय तत्त्व अर्थात् पशु जैसा आचरण। चाहे जैसा खाना-पीना, माता-पिता की बात को ठुकरा देना, समाज को ठुकरा देना। जैसे, ढोर चलता है ऐसे ही मन के अनुसार चलना। ये पाशवीय तत्त्व …

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स्वप्न को स्वप्न जान लो


संत श्री आसाराम बापू जी के सत्संग-प्रवचन से मानव का यह सहज स्वभाव है कि वह सदैव जाग्रत अवस्था का ही ख्याल करता है, जाग्रत को ही सुधारना चाहता है, जाग्रत में ही सुखी होना चाहता है। स्वप्न एवं सुषुप्ति का वह जरा भी ख्याल नहीं करता जबकि केवल जाग्रत अवस्था ही उसकी नहीं है, …

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सेहत और सावधानियाँ


आयुर्वेद के तीन उपस्तम्भ हैं- आहार निद्रा और ब्रह्मचर्य। जीवन में सुख-शांति व समृद्धि प्राप्त करने के लिए स्वस्थ शरीर की नितान्त आवश्यकता है क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और विवेकवती कुशाग्र बुद्धि प्राप्त हो सकती है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए उचित निद्रा, श्रम, व्यायाम और संतुलित आहार अति आवश्यक है। …

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