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Anmol Yuktiyan

परमात्म साक्षात्कार के लिए यह भजन नींव का काम करेगा –
पूज्य बापू जी



जिनका आयुष्य पूरा हो रहा है (जो मृत्युशैय्या पर हो) अथवा
जिनका शरीर शांत हो गया है उनके लिए एक भजन बनाया है ताकि
उनको ऊँची गति, मोक्षप्राप्ति में मदद मिले । मृतक व्यक्ति के लिए
रुदन नहीं करना चाहिए, कीर्तन करना चाहिए । कीर्तन तो लोग करते हैं
लेकिन मृतक व्यक्ति की सदगति करने वाला ऐसा भजन बना है कि
यह सुनो-सुनाओ तो महाकीर्तन हो जायेगा ।
ऐसा कोई शरीर है ही नहीं जो मरे नहीं । चो आप जिसका शरीर
शांत हो गया है उसकी सद्गति के लिए इस भजन के द्वारा प्रार्थना
करना और उसके लिए यह भाव करना, उसे प्रेरणा देना कि ‘तुम
आकाशरूप हो, चैतन्य हो, व्यापक हो…।’
यह भजन मृतक व्यक्ति के लिए सद्गतिदायक बनेगा और अपने
लिए भी अब से ही काम में आयेगा । सद्गति की सूझबूझ, सत्प्रेरणा
और सत्स्वरूप अंतरात्मा की मदद सहज में पायें, मृतक और आप स्वयं
अपने सत्स्वरूप में एक हो जायें ।
मृतक व्यक्ति सत्स्वरूप परमात्मा से पृथक नहीं होता, वह
पुण्यात्मा पुण्यस्वरूप ईश्वर का अविभाज्य अंग है । अपनी और उस
महाभाग की परमात्मा-स्मृति जगाइये । अर्जुन कहते हैं- नष्टो मोहः
स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत । स्थितोऽस्मि गतसन्देहः करिष्ये वचनं
तव ।।
ऐसे ही सभी की स्मृति जगह । भगवत्प्रसाद, भगवद्ज्ञान, भगवद्-स्मृति,
अंतरात्मा भगवान की भक्ति, प्रीति पाइये, जगाइये… जगाइये, पाइये ।

मृत्यु के जो नजदीक हैं वे भी लगें, जिनकी हो गयी हैं उनके लिए भी
करें । इससे अपने पिया स्वभाव (परमात्म-स्वभाव) को पाओगे,
अंतरात्म-स्वभाव में आओगे, विकारों से, जन्म-मरण के चक्कर से छूट
जाओगे । ॐ आनंद… ॐ शांति… ॐॐॐ प्रभु जी… ॐॐॐ प्यारे
जी… ॐॐॐ मेरे जी… ॐॐॐ अंतरात्मदेव… परमात्मदेव…। मंगलमय
जीवन और मृत्यु भई मंगलमय ! ‘
मंगलमय जीवन-मृत्यु’ पुस्तक पढ़ना उसमें भी मृतक व्यक्ति के
लिए प्रेरणा है, उसके अनुसार उसे प्रेरणा देना और जहाँ भी कोई व्यक्ति
संसार से चले गये हों अथवा जाने वाले हों वहाँ इस भजन दोहरा दिया

यह भजन परमात्म-साक्षात्कार के लिए नींव का काम करेगा,
सत्संगी-सहयोगी साथी का काम करेगा । धन्य हैं वे लोग जो इसको
सुन पाते हैं, सुना पाते हैं ! देखें वीडियो
http://www.bit.ly/sadgatibhajan
https://www.youtube.com/watch?v=yzQBgMZviek
मृतक की सद्गति के प्रार्थना
परमात्मा उस आत्मा को शांति सच्ची दीजिये
हे नाथ ! जोड़े हाथ सब हैं प्रेम से ये माँगते ।
साँची शरण मिल जाय हिय से आपसे हैं माँगते ।।
जो जीव आया तव निकट ले चरण में स्वीकारिये ।
परमात्मा उस आत्मा को शांति सच्ची दीजिये ।।1।।
फिर कर्म के संयोग से जिस वंश में वह अवतरे ।
वहाँ पूर्ण प्रेम से आपकी गुरु भक्ति करे ।।
चौरासी लक्ष के बंधनों को गुरुकृपा से काट दे ।

है आत्मा परमात्मा ही ज्ञान पाकर मुक्त हो ।।2।।
इहलोक औ परलोक की होवे नहीं कुछ कामना ।
साधन चतुष्टय और सत्संग प्राप्त हो सदा ।।
जन्मे नहीं फिर वो कभी ऐसी कृपा अब कीजिये ।
परमात्मा निजरूप में उस जीव को भी जगाइये ।।3।।
संसार से मुख मोड़कर, जो ब्रह्म केवल ध्याय है ।
करता उसी का चिंतवन, निशदिन उसे ही गाय है ।।
मन में न जिसके स्वप्न में भी, अन्य आने पाय है ।
सो ब्रह्म ही हो जाय है, न जाय है ना आय है ।।4।।
आशा जगत की छोड़कर, जो आप में ही मग्न है ।
सब वृत्तियाँ हैं शांत जिसकी, आप में संलग्न है ।।
ना एक क्षण भी वृत्ति जिसकी, ब्रह्म से हट पाय है ।
सो तो सदा ही है अमर, ना जाय है ना आय है ।।5।।
संतुष्ट अपने आप में, संतृप्त अपने आप में ।
मन बुद्धि अपने आप में, है चित्त अपने आप में ।।
अभिमान जिसका गल गलाकर, आप में रत्न जाय है ।
परिपूर्ण है सर्वत्र सो, ना जाय है ना आय है ।।6।।
ना द्वेष करता भोग में, ना राग रखता योग में ।
हँसता नहीं है स्वास्थ्य में, रोता नहीं है रोग में ।।
इच्छा न जीने की जिसे, ना मृत्यु से घबराय है ।
सम शांत जीवन्मुक्त सो, ना जाय है ना आय है ।।7।।
मिथ्या जगत है ब्रह्म सत्, सो ब्रह्म मेरा तत्त्व है ।
मेरे सिवा जो भासता, निस्सार सो निस्तत्त्व है ।।
ऐसा जिसे निश्चय हुआ, ना मृत्यु उसको खाय है ।

सशरीर भी अशरीर है, ना जाय है ना आय है ।।8।।
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं ।
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं ।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ।।
ब्रह्मस्वरूपाय नमः ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2023, पृष्ठ संख्या 27, 29 अंक 362
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आत्मसुख पाने का यह महाव्रत ले लो – पूज्य बापू जी



आपको महान आत्मा का सुख पाना है तो एक महाव्रत ले लो ।
सुबह नींद से उठो, ‘जिसमें रातभर शांति पायी उस सच्चिदानंद प्रभु को
प्रणाम !…’ बस, चुप हो जाओ । गुरुमंत्र मिला है तो गुरुमंत्र जप लो,
नहीं तो चुप हो जाओ । सुबह का जाग्रत में 2 मिनट चुप होना बहुता
मायना रखता है ।
कोई कामकाज करो तो पहले थोड़ी देर गुरुमंत्र का जप करके चुप
हो जाओ, कामकाज में छक्के लगेंगे छ्क्के ! और फायदा होगा तो घमंड
नहीं होगा । फायदा हो और घमंड हुआ तो नुकसान हो गया आपका ।
बाहर से तो फायदा हुआ पर अँदर से नुकसान हो गया, आप अपने
सच्चिदानंद स्वभाव से गिर गये । बाहर नुकसान हो जाय और दुःख न
हो तो आपको नुकसान नहीं हुआ । लोग तो नुकसान हो चाहे न हो
दुःखी-सुखी होते रहते हैं । मैच में कोई जीता तो खुश हो जाते हैं, कोई
हारा तो दुःखी हो जाते हैं मुफ्त में । तुम्हारा सुख-दुःख पराश्रित न हो,
तुम्हारा सुख-दुःख शरीर के आश्रित न हो, मन और बुद्धि के आश्रित न
हो, तुम्हारे जीवन में सुख-दुःख रूपी द्वन्द्व न हो । ध्यान देना, बहुत
ऊँची बात है ब्रह्मज्ञान की ।
स्नातं तेन सर्वं तीर्थं दातं तेन सर्व दानम् ।
कृतं तेन सर्व यज्ञं येन क्षणं मनः ब्रह्मविचारे स्थिरं कृतम्।।
सारे तीर्थों में उसने स्नान कर लिया, सारा दान उसने दे दिया,
सारे यज्ञ उसने कर लिये, जिसने ब्रह्म परमात्मा के विचार में मन को
टिकाया ।
ऋषि प्रसाद, जनवरी 2023, पृष्ठ संख्या 2, अंक 361

मौन का मजा – साईँ श्री लीलाशाह जी महाराज



ऐ गुरुमुखो ! तुमने कभी मौन का मजा लेकर देखा है ? यदि नहीं
तो लेकर देखो तो तुम्हें पता चले कि कितना आनंद आता है ! जिह्वा
को छोटी न समझो, यह जिह्वा धूप में बिठाये, यही छाया में, यही
जिह्वा मित्र को शत्रु बनाये तो यही शत्रु को मित्र बनाये ।
महात्मा गाँधी प्रत्येक सोमवार को मौन धारण करते थे । मौन-व्रत
करने से ही उन्हें ऐसी शक्ति प्राप्त होती थी जिससे दुनिया की कठिन
समस्याएँ भी वे मिनटों में हल कर देते थे । बोलने में तुम्हें बराबर
मजा आता है लेकिन कभी मौन का मजा लेकर तो देखो !
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2023, पृष्ठ संख्या 19 अंक 363
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