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Anmol Yuktiyan

विकराल स्वास्थ्य समस्याः कृमिरोग हर 2 में से 1 व्यस्क एवं 3 में से 2 बच्चों को ग्रसने वाली


आज पेट के कृमि एक बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है । साधारण-सी मालूम पड़ने वाली यह समस्या बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए अत्यंत हानिकारक है । यह समस्या बड़ी उम्र के व्यक्तियों में भी पायी जाती है । कारणः पहले किये हुए भोजन के पूर्णरूप से पचने के पहले दोबारा खाना, दूध के साथ नमकयुक्त, खट्टे पदार्थों, फल, गुड़ आदि का सेवन, बेकरी के पदार्थ, फास्ट-फूड, चायनीज़ फूड, बिस्कुट, चॉकलेट आदि का सेवन, गुड़, मैदे व चावल के आटे से बने पदार्थों का अधिक सेवन, दही, दूध, मावा, पनीर, मिठाई, गन्ना – इनका लगातार अधिक सेवन, सफाई का ध्यान रखे बिना भोजन करना, दिन में सोना, आसन-व्यायाम का अभाव तथा कब्ज से पेट में कृमि होते हैं । मुँह में उँगली डालने, मुँह से नाखून चबाने तथा मिट्टी खाने की आदत से बच्चों में कृमि होने की सम्भावना अधिक होती है । लक्षण व दुष्प्रभावः शौच में कीड़े दिखना, गुदा में खुजली, अधिक खाने की इच्छा, पेट का फूलना व दर्द, जी मिचलाना, शरीर का कद न बढ़ना, वज़न कम होना, खून की कमी, बुद्धि की मंदता, कभी-कभी बेहोशी आना, बिस्तर में पेशाब होना – ये सभी या इनमें से कुछ लक्षण दिखते हैं । कृमि कभी-कभी पित्तवाहिनी में अवरोध करके पीलिया तथा आँतों के मार्ग को ही बंद कर देते हैं । ये मज्जा का भक्षण कर सिर के रोग तथा नेत्रों को हानि पहुँचा के नेत्ररोग उत्पन्न करते हैं । इन दुष्परिणामों को न जानने से बच्चों के पेट में होने वाले कृमि को नज़रअंदाज करते हैं । कृमिरोग से सुरक्षा के उपाय अथर्ववेद (कांड 2, सूक्त 32, मंत्र 1) में आता हैः ‘उदय होता हुआ प्रकाशमान सूर्य कृमियों को मारे और अस्त होता हुआ भी सूर्य अपनी किरणों से कृमियों को मारे ।’ भगवान सूर्य से उपरोक्तानुसार प्रार्थना करें । रोज सुबह सूर्यस्नान करें । रोज तुलसी के 5-7 पत्ते खायें । आहारः जौ, कुलथी, पपीता, अनानास, अजवायन, हींग, सोंठ, सरसों, मेथी, जीरा, अरंडी का तेल, पुदीना, करेला, बैंगन, सहजन की फली, परवल, लहसुन आदि का उपयोग अपनी प्रकृति, ऋतु आदि का ध्यान रखते हुए विशेषरूप से करें । फलों एवं सब्जियों को अच्छे से धोकर प्रयोग करें व बाजारू अपवित्र खाद्य पदार्थों से बचें । पूज्य बापू जी द्वारा बताये गये कृमिनाशक प्रयोग 1 लगभग 70 प्रतिशत बच्चों के पेट में कृमि की शिकायत होती है । इंजेक्शन और कैप्सूल के कोर्स करने के बाद भी कृमियों के सूक्ष्ण जीवाणुओं के अंडे रह जाते हैं और समय पाकर पनपते हैं । सुबह खाली पेट पपीते के 7 बीज व तुलसी के 5-7 पत्ते लम्बा समय खिलायें (सप्ताह में 4-5 दिन) । पपीते का नाश्ता करायें । इससे कृमि तो जायेंगे, साथ ही उनके अंडे भी चले जायेंगे । तुलसी कृमियों को भगायेगी और बच्चा होनहार होगा, निरोग होगा । 7 वर्ष तक अगर बच्चे को निरोग रख पाओ तो फिर उसे कोई बीमारी चिपकेगी नहीं, आयी तो रुकेगी नहीं । साल-दो साल में फिर से ऐसा प्रयोग कर लीजिये । बड़ी उम्र वालों में 100 में से 50 व्यक्तियों को पेट में कृमि की शिकायत होती है । इसलिए खाते-पीते हुए भी उनका शरीर पुष्ट नहीं होता और कमजोरी-सी महसूस होती है । उनको भी यह प्रयोग करना चाहिए । सुबह उठते ही कुल्ला आदि करके बच्चे 10 ग्रा गुड़ के साथ आधा ग्राम अजवायन-चूर्ण तथा बड़ 25 ग्राम गुड़ के साथ 1 से 2 ग्राम अजवायन चूर्ण बासी पानी के साथ खायें । इससे आँतों में मौजूद सबी प्रकार के कृमि नष्ट हो जाते हैं । यह प्रयोग 3 दिन से एक सप्ताह तक कर सकते हैं । कृमिनाशक औषधि प्रयोगः 1. सुबह खाली पेट 1 से 3 गोली कोष्ठशुद्धि कल्प 10 मि.ली. नीम अर्क के साथ गर्म पानी से लें । 2. 1-1 तुलसी बीज टेबलेट सुबह-शाम भोजन के बाद चबाकर सेवन करें । 3. 1-1 लीवर टॉनिक टेबलेट सुबह-शाम लें । विशेषः कृमि का शरीर पर अधिक दुष्प्रभाव दिखाई तो वैद्यकीय सलाह से उपचार करें । स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2022, पृष्ठ संख्या 32, 33 अंक 360 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

दरिद्रता दूर, रोजी-रोटी में बरकत भरपूर – पूज्य बापू जी


दरिद्रता भगानी हो तो व्यर्थ खर्च न करो । ब्याज पर कर्ज ले के गाड़ियाँ न खरीदो एवं मकान न बनाओ । आवक बढ़ानी हो अथवा बरकत लानी हो तो मंत्र हैः ‘ॐ अच्युताय नमः’ जिसका पद कभी च्युत नहीं होता… इन्द्रपद भी च्युत हो जाता है, ब्रह्मा जी का पद भी च्युत हो जाता है फिर भी जो च्युत नहीं होते अपने स्वभाव से, अपने आपसे, उन परमेश्वर ‘अच्युत’ को हम नमस्कार करते हैं । अच्युतं केशवं रामनारायणं… ‘ॐ अच्युताय नमः’ मंत्र की गुरुवार से गुरुवार 2 सप्ताह या 4 सप्ताह तक 11 मालाएँ रोज जप करे । कुछ ही दिनों में यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा । फिर जो काम-धंधा या नौकरी करता है वह जल में देखते हुए 21 बार जप करे और दायाँ नथुना बंद करके बायाँ स्वर चलाकर वह जल पिये । इससे रोजी-रोटी में बरकत होती है और दरिद्रता मिटती है । बोलेः ‘अच्युताय नमः… करने से क्या होता है ?’ श्रद्धा से करके देख ले । आजमायेगा तो श्रद्धा नहीं रहेगी । श्रद्धा से करेगा तो दरिद्रता नहीं रहेगी । स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2022, पृष्ठ संख्या 10 अंक 359 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

ब्रह्मविद्या का केला और गुरुकृपा की इलायची


कटहल की सब्जी बनती है । कटहल इतना दुष्पाच्य होता है कि कटहल खाया तो मानो पेट में पत्थर डाल दिये । अगर युक्ति है तो कटहल भी सुपाच्य हो जाता है । कटहल बहुत दुष्पाच्य है परंतु उसे खाने के बाद केला खाओ तो केला कटहल को पचा देगा । पर फिर केला दुष्पाच्य हो जाता है । केला खाने के बाद इलायची खाओ तो वह केले को पचायेगी । इस प्रकार कटहल और केला दोनों पच जायेंगे । ऐसे ही संसार का सुख-दुःख कटहल है । उसको पचाने के लिए ब्रह्मविद्या का केला खा लो और ब्रह्मविद्या का केला खाते समय जरा अहंकार आ जाय तो गुरुकृपा की इलायची मुँह में धर दो, काम बन जाता है ! स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2022, पृष्ठ संख्या 17 अंक 358 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ