106 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

निर्वासनिक पुरुष की महिमा


(चेटीचण्ड 2001 शिविर में श्रीयोगवाशिष्ठ महारामायण जैसे महान वेदांत ग्रंथ को सहज सरल भाषा में समझाते हुए पूज्य श्री कह रहे हैं-) ‘हिमालय पर्वत में प्राप्त हुआ तपस्वी भी ऐसा शीतल नहीं होता, जैसा निर्वासनिक पुरुष का मन शीतल होता है।” हिमालय पर्वत में शीतलता तो होती है लेकिन बर्फ की शीतलता शरीर को ठण्डक …

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हल्दी आमी हल्दी


प्राचीन काल से भोजन में एवं घरेलु उपचार के रूप में हल्दी का प्रयोग होता रहा है। ताजी हल्दी का प्रयोग सलाद के रूप में भी किया जाता है। इसके अलावा आमी हल्दी का भी प्रयोग सलाद के रूप में करते हैं। उसका रंग सफेद एवं सुगंध आम के समान होती है। अनेक मांगलिक कार्यों …

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विवेक जागृत रखो


(गीतामर्मज्ञ पूज्य श्री गीताज्ञान की पावन गंगा बहाते हुए अपने प्यारे श्रोताओं को कितना सहज में ज्ञानामृत देते हैं उसका एक साक्ष्य आपके समक्ष प्रस्तुत है।) श्रीमद् भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः। आगमापायिनोsनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।। ‘हे कुन्तीपुत्र ! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःख को देने वाले इन्द्रिय और विषयों के संयोग तो उत्पत्ति-विनाशशील …

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