257 ऋषि प्रसादः मई 2014

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

यातनाएँ सहकर भी जिन्होंने किया समाज का मंगलः संत तुकाराम जी


महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत तुकारामजी शरीर की सुधबुध भूलकर भगवान विट्ठल के भजन-कीर्तन में डूबे रहते। भगवान की भक्ति में प्रगाढ़ता आयी और उनके श्रीमुख से अभंगों के रूप में शास्त्रों का गूढ़ ज्ञान प्रकट होने लगा। तुकाराम जी भगवद् रस से सम्पन्न वाणी से लोगों के रोग-शोक दूर होने लगे, समाज उन्नत होने लगा …

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सुषुप्ति में होता है सत् से ऐक्य


स्वामी श्री अखण्डानंद जी सरस्वती मन बुद्धि के उपराम होने पर सत् का प्रतिबिम्ब जो जीवात्मा है, वह कहाँ चला जाता है ? वह अपने प्रकाशस्वरूप सत्-देवता में ही मिल जाता है। मन की उपशांति में आत्मा परमात्मा से एक हो जाता है। यही बात समझाने के लिए आरूणि ने कहाः “तुम स्वप्नांत अर्थात् सुषुप्ति …

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सर्वफलप्रद साधनः भगवन्नाम-जप – पूज्य बापू जी


भगवन्नाम का बड़ा भारी प्रभाव है। सारे पापों के समूह को नाश करने वाला है भगवान का नाम। जैसे लकड़ी में अग्नि तो व्याप्त है लेकिन छुओ तो वह गर्म नहीं लगेगी, वातावरण के अनुरूप लगेगी। सर्दी में सुबह-सुबह लकड़ी को छुओ तो ठंडी लगती है। आँखों से अग्नि दिखेगी नहीं, छूने से भी महसूस …

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