198 ऋषि प्रसादः जून 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरुपूर्णिमा-संदेश


(गुरुपूर्णिमाः 8 जुलाई 2009) पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से गुरुपूर्णिमा जन्म-जन्मांतर से भटकते  हुए जीव में आचार्य के, भगवान के, शास्त्रों के वचनों से और जीव के अपने अनुभव से ज्ञान, भक्ति और योग का प्रसाद भरकर उसकी योग्यता को ऐसा कर देती है कि वह जीव फिर माता के गर्भों की पीड़ा सहने …

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शारीरिक शुद्धि


जितना ध्यान हम शरीर की पुष्टि की तरफ देते हैं, उतना ही ध्यान शरीर की शुद्धि की तरफ देना भी आवश्यक है । अवशिष्ट पदार्थों का निष्कासन करने वाली शोधन प्रणालियों का कार्य कुशलता से नहीं होगा तो पोषण तंत्र का कार्य अपने-आप मंद अथवा बंद हो जायेगा । शरीर से निष्कासन का कार्य मुख्यतः …

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सूर्य को अर्घ्यदान की महत्ता


भारतीय संस्कृति कितनी महान है कि जिससे भी लोगों का तन तंदुरुस्त रहे, मन प्रसन्न रहे और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रकाश हो उसको धर्म जोड़ दिया । सूर्य को अर्घ्य देना भी धर्म का एक अंग माना गया है । आधुनिक विज्ञान के आधार पर भी सिद्ध हो चुका है कि सूर्य जीवनशक्ति का …

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