गोपाष्टमी 28 अक्तूबर 2017
देशी गाय मानव जाति के लिए प्रकृति का अनुपम वरदान है। जिस घर में गाय की सेवा हो, वहाँ पुत्र-पौत्र, धन, विद्या, सुख आदि जो भी चाहिए मिल सकता है। महर्षि अत्रि ने कहा हैः “जिस घर में सवत्सा धेनु (बछड़े वाली गाय) नहीं हो, उसका मंगल-मांगल्य कैसे होगा ?” गाय का घर में पालन करने से घर की सर्व बाधाओं और विघ्नों का निवारण हो जाता है। विष्णु पुराण में आता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना के विषयुक्त दुग्ध का पान करते समय उसके प्राणों को भी पा लिया तब वह महाभयंकर रूप धारण कर मर के पृथ्वी पर गिर पड़ी। इससे भयभीत यशोदा माँ ने गाय की पूँछ घुमाकर श्रीकृष्ण की नज़र उतारी और सबके भय का निवारण किया।
महाभारत (अनुशासन पर्वः 51.323) में कहा गया हैः
निविष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम्।
विराजयति तं देशं पापं चास्यापकर्षति।।
‘गौओं का समुदाय जहाँ बैठकर निर्भयतापूर्वक साँस लेता है उस स्थान की शोभा बढ़ा देता है और वहाँ के सारे पापों को खींच लेता है।’
गौ से विविध कार्यों की सिद्धि
वास्तुदोषों का निवारणः जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है। इस संबंध में वास्तुग्रंथ ‘मयमतम्’ में कहा गया है कि ‘भवन-निर्माण का शुभारम्भ करने से पूर्व उस भूमि पर ऐसी गाय को लाकर बाँधना चाहिए जो सवत्सा (बछड़े वाली) हो। नवजात बछड़े को जब गाय दुलाकर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिर के उसे पवित्र बनाता है और वहाँ होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है।’
इससे कार्य भी निर्विघ्न पूरा होता है और समापन तक आर्थिक बाधाएँ नहीं आतीं।
यात्रा में सफलताः यदि यात्रा के प्रारम्भ में देशी गाय सामने दिख जाय अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई दिख जाय तो यात्रा सफल होती है।
यदि रास्ते में जाते समय देशी गाय आती हुई दिखाई दे तो उसे अपनी दाहिनी बगल से जाने देना चाहिए, इससे यात्रा सफल होगी।
पितृदोष से मुक्तिः देशी गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है।
दीर्घायु-प्राप्तिः देशी गाय के घी का एक नाम ‘आयु’ भी है। आयुर्वै घृतम्। अतः गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है। हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें तथा गाय की पूजा करें।
साक्षात्कार (इन्टरव्यू) में सफलताः किसी भी साक्षात्कार हेतु या उच्च अधिकारी से भेंट आदि के लिए जाते समय गाय के रँभाने की ध्वनि कान में पड़ना शुभ है।
उत्तम संतान का लाभः इसके लिए घर में देशी गाय की सेवा अच्छा उपाय कहा गया है।
यम के भय से मुक्तिः शिव पुराण व स्कंद पुराण में कहा गया है कि गौ-सेवा करने और सत्पात्र को गौदान करने से यम का भय नहीं रहता।
पाप-ताप से मुक्तिः जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती हैं, उस समय को गोधूलि वेला कहा जाता है। गाय के खुरों से उठने वाली धूलराशि समस्त पाप-तापों को दूर करने वाली है।
ग्रहबाधा-निवारणः गायों को नित्य गोग्रास देने तथा सत्पात्र को गौ दान करने से ग्रहों के अनिष्ट-निवारण में मदद मिलती है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2017, पृष्ठ संख्या 25 अंक 298
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ