203 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

उत्तम साधन


(बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) जब सब ब्रह्म है तो आप पूछोगे कि ‘कृष्ण के साकार रूप की उपासना करें कि निराकार की करें ? वह घोड़े की बागडोर लिये हुए काला-कलूटा कृष्ण-कन्हैया बैठा है, उसको ही भगवान मानें कि उसके अंदर जो आत्मा है उसको भगवान मानें ?’ भाई ! जिसमें तेरी प्रीति हो …

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अनर्थों का मूलः आलस्य


आलस्य मानव की उन्नति में रिपु (शत्रु) है । भले कामों में अथवा कर्तव्य कर्मों में जी चुराने का नाम आलस्य है । आलस्य ऐसा भारी दोष है कि इससे मनुष्य अपना वर्तमान और भविष्य घोर दुःखान्धकार से ही भरा हुआ पाता है । आलस्य के कारण ही मनुष्य बड़े-बड़े लाभ के अवसरों को, अच्छे-अच्छे …

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अद्भुत मंत्र


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) हाथी बाबा, हरि बाबा, उड़िया बाबा, आनंदमयी माँ – ये चार समकालीन संत वृन्दावन में रहते थे । हरि बाबा से पूछा गयाः “बाबा ! आप ऐसे महान संत कैसे बने ?” हरि बाबा ने कहाः “बचपन में जब हम खेल खेलते थे तो एक साधु भिक्षा लेकर आते …

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