278 ऋषि प्रसादः फरवरी 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जब देवी ने ली दीक्षा


श्री नाभा जी महाराज कृत ‘भक्तमाल’ में कथा आती है कि श्री हरिव्यास जी संतों के साथ विचरण करते हुए चटथावल नामक ग्राम पहुँचे। वहाँ एक सुंदर वाटिका देख के वहीं अपना नित्य-नियम करके भोजन प्रसाद ग्रहण करने का विचार कर रहे थे। तभी वाटिका में देवी के मंदिर पर किसी ने बकरा मार के …

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सदगुरु से ही ब्रह्म को ब्रह्मत्व प्राप्त होता है


संत एकनाथ जी महाराज सदगुरु स्तुति करते हुए लिखते हैं- ‘हे सदगुरु परब्रह्म ! तुम्हारी जय हो ! ब्रह्म को ‘ब्रह्म’ यह नाम तुम्हारे कारण ही प्राप्त हुआ है। हे देवश्रेष्ठ गुरुराया ! सारे देवता तुम्हारे चरणों में प्रणाम करते हैं। हे सदगुरु सुखनिधान ! तुम्हारी जय हो। सुख को सुखपना भी तुम्हारे कारण ही …

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आठ प्रकार के सुखों से भी ऊँचा सुख


पूज्य बापू जी आठ प्रकार के सुख होते हैं। देखने, सूँघने, चखने, सुनने और स्पर्श का सुख – ये पाँच विषय सुख हुए। दूसरा, मान मिलता है तो सुख होता है, अपनी कहीं बड़ाई हो रही हो तो सुख होता है। अगर आपको बढ़िया आराम मिल रहा हो तो सुख होता है। तो शब्द, स्पर्श, …

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