ब्रह्मनिष्ठों के ब्रह्मसंकल्प से होते अद्भुत परिवर्तन

Rishi Prasad 269 May 2015

ब्रह्मनिष्ठों के ब्रह्मसंकल्प से होते अद्भुत परिवर्तन


एक बार सरदार वल्लभभाई पटेल ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को यह जानने के लिए भेजा कि ‘श्री रमण महर्षि स्वतंत्रता संग्राम हेतु क्या कर रहे हैं ?’
राजेन्द्र बाबू ने निवेदन कियाः “महर्षि जी ! लोग बोलते हैं कि गांधी जी इतना काम कर रहे हैं और आप यहीं बैठे हैं !”
रमण महर्षिः “तो हम नहीं कर रहे हैं क्या ? संकल्प से भी काम होते हैं।”
पूज्य बापू जी कहते हैं- “जो निःसंकल्प महापुरुष हैं, उनके संकल्प में भी बड़ी ताकत होती है। मौन रहकर मौन में टिकते हैं और संकल्प द्वारा क्रिया से ज्यादा मंगल करते हैं। लेकिन आजकल समझ का स्तर इतना नीचे आ गया कि वाणी का भी उपयोग करना पड़ता है।”
रमण महर्षि की तरह स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज, योगी अरविंद आदि कई नामी-अनामी महापुरुषों के संकल्पबल व चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल आदि देशभक्तों की कुर्बानियों तथा महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, सरदार पटेल, पं. मदनमोहन मालवीय आदि के अथक प्रयासों के फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
परंतु सैंकड़ों वर्षों की गुलामी के कारण मानसिक गुलामी दूर नहीं हुई। इस मिली हुई बाह्य आजादी को बनाये रखने तथा मानसिक गुलामी से मुक्त करके भारत को पुनः विश्वगुरु पद पर आसीन करने के लिए ब्रह्मज्ञानी महापुरुष पूज्य बापू जी अनेक कष्ट सहते हुए भी पिछले 50 वर्षों से सतत प्रयत्नरत हैं। वासुदेवः सर्वमिति की दृष्टि से सम्पन्न पूज्य बापू जी के वैदिक सत्संग तथा मानव उत्थान के कई दैवी कार्यों द्वारा देश में एकता, अखंडता, सद्भाव, संयम, सदाचार आदि से समाज में सुख शांति व सम्पन्नता आयी है। बापू जी ने हम सबको सांस्कृतिक पुनर्जागरण द्वारा सच्ची आजादी, आत्मिक आजादी की ओर अग्रसर किया है। इतना ही नहीं, बापू जी अपने ब्रह्मसंकल्प द्वारा कारगिल युद्ध में ऐतिहासिक सफलता दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
26 जून 1999 को अहमदाबाद आश्रम में गुरुपूर्णिमा का शिविर चल रहा था। उधर भारतीय सेना कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लोहा ले रही थी। पूज्य बापू जी को सूचना मिली कि घुसपैठी ‘टाइगर हिल’ की चोटियों पर बैठे हैं, जिससे हमारे भारतीय सैनिकों को ज्यादा खतरा है। देश की रक्षार्थ अपने प्राणों की बाजी लगाने को तत्पर भारतीय वीरों के लिए पूज्य श्री का हृदय पिघल गया।
दोपहर की संध्या में साधकों को कारगिल की स्थिति से अवगत कराते हुए पूज्य श्री ने कहाः “तुम्हारा संकल्प घुसपैठियों को ठीक कर सकता है।” पूरा सत्संग पंडाल पूज्य बापू जी तथा साधकों की ॐकार की तुमुल ध्वनि से गूँज उठा। पूज्यश्री ने जोशभरी वाणी में कहाः “तुम्हारा ॐ का गुंजन वहाँ (कारगिल में) काम करेगा। ये संकल्प के बम बाहर के बमों से ज्यादा काम करेंगे। कारगिल के आसपास के इलाके में घुसपैठियों का सफाया…. यश भले किसी को भी मिले, काम अपने देश का हो…”
कारगिल के दस्तावेज इस बात के साक्षी हैं कि 27 जून के बाद टाइगर हिल पर दिन प्रतिदिन अधिक सफलता मिलनी प्रारम्भ हुई और 4 जुलाई को टाइगर हिल पर भारतीय सेना ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2015, पृष्ठ संख्या 26, अंक 269
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