302 ऋषि प्रसादः फरवरी 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

परम तत्त्व में विश्रांति-पूज्य बापू जी


इन्द्रियाँ, मन और विषयों के संयोग से जो भी सुख मिलता है वह वास्तव में आपके दुःख को दूर नहीं कर सकता। भगवान कहते हैं, ‘जो सुख नित्य है, प्रकाशस्वरूप है, व्यापक है वह वास्तविक सुख है।’ जैसे स्वप्न बुद्धि द्वारा कल्पित होने से स्वप्न का सुख वास्तविक सुख नहीं है, मिथ्या है वैसे ही …

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होली का सिद्धान्त जीवन में लायें-पूज्य बापू जी


(होलीः 1 मार्च, धुलेंडीः 2 मार्च 2018) भक्त प्रह्लाद के जीवन से दो बातें प्रत्यक्ष हैं- 1.प्रह्लाद के जीवन में विरोध, प्रतिकूलताएँ आयीं पर वह उन विरोधों और प्रतिकूलताओं में गिरा नहीं, ऐसे ही जिसको ईश्वर की सर्वव्यापकता पर विश्वास है उसको प्रह्लाद की तरह विरोध, लोगों की डाँट, शिक्षकों का समझाना, साथियों का भड़काना, …

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सूर्य ढलने से पहले अपना रास्ता तय कर लेना


यावत् स्वस्थमिदं कलेवरगृहं यावच्च दूरे जरा यावच्चेन्द्रियशक्तिरप्रतिहता यावत् क्षयो नायुषः। आत्मश्रेयसि तावदेव विदुषा कार्यः प्रयत्नो महान् प्रोद्दीप्ते भवने तु कूपखननं प्रत्युद्यमः कीदृशः।। ‘जब तक यह शरीर स्वस्थ है और वृद्धावस्था दूर है तथा जब तक इन्द्रियों की शक्ति नष्ट नहीं हुई है एवं आयु का क्षय नहीं हुआ है तभी तक समझदार मनुष्य को आत्मकल्याण …

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