आओ करें पूजन गुणों की खान तुलसी का

आओ करें पूजन गुणों की खान तुलसी का


तुलसी का धार्मिक, आयुर्वेदिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक महत्त्व है । साथ ही यह स्वास्थ्य व पर्यावरण-सुरक्षा की दृष्टि से भी अहम है । जिस घर में तुलसी का वास होता है वहाँ आध्यात्मिक उऩ्नति के साथ सुख-शांति एवं आर्थिक समृद्धि स्वतः होती है । वातावरण में स्वच्छता एवं शुद्धता, प्रदूषण-शमन, घर परिवार में आरोग्य की जड़ें मजबूत करना आदि तुलसी के अनेक लाभ हैं ।

तुलसी के नियमित सेवन से सौभाग्यशालिता के साथ ही सोच में पवित्रता, मन में एकाग्रता आती है और क्रोध पर नियंत्रण होता है । आलस्य दूर होकर शरीर में दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है ।

तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है । तुलसी सौंदर्यवर्धक एवं रक्तशोधक है । गुणों की दृष्टि से यह संजीवनी बूटी है, औषधियों की खान है । अथर्ववेद में काली औषधि (श्यामा तुलसी) को महौषधि कहा गया है । भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इसको ‘वैष्णवी’ भी कहते हैं ।

विज्ञान के अनुसार घर में तुलसी-पौधे लगाने से स्वस्थ वायुमंडल का निर्माण होता है । तुलसी से उड़ते रहने वाला तेल आपको अदृश्य रूप से कांति, ओज और शक्ति से भर देता है । अतः सुबह-शाम तुलसी के नीचे धूप-दीप जलाने से नेत्रज्योति बढ़ती है, श्वास का कष्ट मिटता है । तुलसी के बगीचे में बैठकर पढ़ने, लेटने खेलने व व्यायाम करने वाले दीर्घायु व उत्साही होते हैं । तुलसी उनकी कवच की तरह रक्षा करती है ।

तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से शरीर में बल तथा बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है । प्रातः खाली पेट तुलसी का 1-2 चम्मच रस (या आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध तुलसी अर्क) पीने अथवा 5-7 चबा-चबाकर खाने और पानी-पीने से बल, तेज और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है।

फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन कहते हैं- “तुलसी एक अदभुत औषधि (Wonder Drug) है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि व मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी है ।”

जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थ समान पवित्र होता है । उस घर में (रोगरूपी) यमदूत नहीं आते । (स्कन्द पुराण)

भगवान महादेव जी कार्तिकेय से कहते हैं- “सभी प्रकार के पत्तों और पुष्पों की अपेक्षा तुलसी ही श्रेष्ठ मानी गयी है । कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती है और स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करती है । जो तुलसी के पूजन आदि का दूसरों को उपदेश देता और स्वयं भी आचरण करता है, वह भगवान के परम धाम को प्राप्त होता है ।” (पद्म पुराण, सृष्टि खंडः  58,131-132)

तुलसी से होने वाले लाभों से सारा विश्व लाभान्वित हो इस उद्देश्य से पूज्य बापू जी ने 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरु करवाया । इस पहल का स्वागत करते हुए बड़े स्तर पर यह दिवस मनाया जाने लगा है ।

पाश्चात्य कल्चर का प्रचार-प्रसार करने वाले पंथ 25 दिसम्बर के निमित्त कई कार्यक्रम करते हैं एवं हमारे बाल, युवा एवं प्रौढ़ – सभी को भोगवाद व हलके संस्कारों की ओर प्रेरित कर महान भारतीय संस्कृति से दूर ले जाते हैं । अतः भारत के सभी सपूतों को चाहिए कि वे अपने-अपने गली-मुहल्लों में ‘तुलसी पूजन दिवस कार्यक्रम’ करें और अपनी संस्कृति के गौरव को समझें समझायें और लाभ उठायें । जो ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के सत्सकंल्प में भागीदार बनते हैं वे संतों का कृपाप्रसाद पाने के अधिकारी बन जाते हैं ।

(तुलसी महिमा संबंधी अन्य लेख भी पढ़ें, ‘लोक कल्याण सेतु’, नवम्बर 2018, पृष्ठ 8)

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2018, पृष्ठ संख्या 4,5 अंक 312

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *