049 ऋषि प्रसादः जनवरी 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

शाश्वत स्थान की प्राप्ति


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत। तत्प्रसादात्परां शांतिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्।। ʹहे भारत ! तू सर्व भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उसकी कृपा से तू परम शान्ति और शाश्वत स्थान प्राप्त करेगा।ʹ (भगवद् गीताः 18.62) देह शाश्वत नहीं है अर्थात् सदा रहने वाली नहीं है, देह से …

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पूज्यश्री का प्रसाद संजीवनी है


ऐसा कहा जाता है कि जो काम दवा से नहीं होता वह दुआ से हो जाया करता है। लेकिन मेरा अनुभव तो यह कहता है कि दुआ के साथ-साथ पूज्यश्री के हाथों से यदि प्रसाद मिल जाय तो हमारी दुआ भी स्वीकार हो जाती है। मैं विगत 23 वर्षों से दमा का मरीज था और …

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निरावरण तत्त्व की महिमा


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू तत्त्वदृष्टि से जीव और ईश्वर एक है, फिर भी भिन्नता दिखती है। क्यों ? क्योंकि जब शुद्ध चैतन्य में स्फुरण हुआ तब अपने स्वरूप को भूलकर जो स्फुरण के साथ एक हो गया, वह जीव हो गया परन्तु स्फुरण होते हुए भी जो अपने स्वरूप को नहीं भूले, अपने को …

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