080 ऋषि प्रसादः अगस्त 1999

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सौ अश्वमेध यज्ञों का फल


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से एक महात्मा गंगा किनारे घूम रहे थे। एक दिन उन्होंने संकल्प कियाः ʹआज किसी से भी भिक्षा नहीं माँगूगा। जब मैं परमात्मा का हो गया, संन्यासी हो गया तो फिर अन्य किसी से क्या माँगना ? जब तक परमात्मा स्वयं आकर भोजन के लिए न पूछेगा तब तक …

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साधकों का पथ-प्रदर्शन


(संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग प्रवचन से) जब साधक परमात्मा के साक्षात्कार के लिए तन-मन से संकल्पित होता है तो उसके रग-रग में परमात्मप्राप्ति की अनुभूति के लिए तीव्र उत्कंठा होती है। उसका एकमात्र लक्ष्य परमात्मा ही होता है लेकिन साधना में कुछ त्रुटियों और कमियों की वजह से वह अपने परम लक्ष्य की …

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मंदिर टूटने से बच गया….


(18 अगस्त 1999, तुलसी जयंती) संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से औरंगजेब को राज्य मिल गया था फिर भी काम, क्रोध, लोभ एवं बड़ा कहलवाने की वासना के कारण ही उसने अन्याय किया, मंदिरों को तोड़ा बहुतों को सताया। आखिरकार वह अभागा काशी गया और संत तुलसीदास जी को सताया। उसका इरादा भगवान विश्वनाथ …

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