083 ऋषि प्रसादः नवम्बर 1999

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

दान का रहस्य


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन स्नान-दान आदि पुण्य कर्म हैं किन्तु दान करते समय दाता अगर आनंदित नहीं हुआ, उसके भीतर शुभ का भाव उदित नहीं हुआ तो दान का सुखद फल नहीं मिलता। जो दान जबरदस्ती करवाया गया हो, झिझकते हुए किया गया हो, दबास से कराया गया हो-स्वर्ग में भी उसका कोई …

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जीवन की सहजता


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से जो सहज जीवन जीता है, उसका जीवन खूब सरल एवं आनन्द से परिपूर्ण होता है। मूर्ख एवं अहंकारी लोग जीवन को जटिल बना देते हैं। उनका जीवन अपने तथा औरों के लिए समस्या बन जाता है। तीन प्रकार के लोग होते हैं- एक वे होते हैं जो ʹयह …

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क्या गुरु बनाना आवश्यक है ?


ब्रह्मलीन ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री अखण्डानंद सरस्वतीजी महाराज से किसी ने पूछाः “क्या मनुष्य को आत्मिक सुख व शांति के लिए गुरु बनाना आवश्यक है ?” उन्होंने उत्तर देते हुए कहाः “भाई साहब ! जब आपको कोई जरूरत मालूम नहीं पड़ती है, तब  आप क्यों इस चक्कर में पड़ते हैं ? हाँ, जब आपके भीतर से …

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