113 ऋषि प्रसादः मई 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सेठ की समझ


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से किसी सेठ ने एक महात्मा से कई बार  प्रार्थना की कि आप हमारे घर में अपने श्रीचरण घुमायें। आखिर एक दिन महात्मा जी ने कह दियाः “चलो, तुम्हारी बात रख लेते हैं। फलानी तारीख को आयेंगे।” सेठ जी बड़े प्रसन्न हो गये। बाबा जी आने वाले हैं …

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श्रीमद् आद्यशंकराचार्य


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से (श्रीमद् आद्यशंकराचार्य जयंतीः 17 मई 2002) जब-जब वसुधा पर धर्म का होने लगता ह्रास है। तब-तब अवतरित हो संत-सुमन फैलाते धर्म-सुवास हैं।। जब भारत में बौद्ध धर्म के अनुयायी वेदधर्म (सनातन धर्म) की निंदा कर समाज को पथभ्रष्ट करने में लगे थे तथा तांत्रिक और कापालिक समुदाय …

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परम सुहृद् परमात्मा


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से आप कभी यह न सोचें किः अरे, भगवान ने दुनिया ऐसी क्यों बनायी ? दुनिया आपके किसी शत्रु ने नहीं बनायी, किसी बेवकूफ ने नहीं बनायी, किसी शोषक ने नहीं बनायी, किसी पराधीन ने नहीं बनायी और किसी अज्ञानी ने भी नहीं बनायी वरन् आपके परम सुहृद् …

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