051 ऋषि प्रसादः मार्च 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सेवा कर निर्बन्ध की…..


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू परब्रह्म परमात्मा को न जानना उसका नाम है अविद्या। उसे कारण शरीर भी कहते हैं। कारण शरीर से सूक्ष्म शरीर बनता है। सूक्ष्म शरीर की माँग होती है देखने की, सुनने की, चखने की। सूक्ष्म शरीर की इच्छा होती है तो फिर स्थूल शरीर धारण होता है। स्थूल शरीर के …

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नियम में निष्ठा


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू केवल मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो उन्नति कर सकता है। मगर सावधान नहीं रहा तो अवनत भी हो सकता है। या तो उसका उत्थान होता है या पतन होता है, वहीं का वहीं नहीं रहता। अगर मनुष्य उन्नति के कुछ नियम जान ले और निष्ठापूर्वक उसमें लगा रहे …

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कुप्रचार से हानि संतों को नहीं, समाज को है…..


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू किसी व्यक्ति ने एक महात्मा के पास जाकर कहाः “बाबा जी ! सनातन धर्म के प्रति कुप्रचार करने वाले लोग कहते हैं कि ʹरामायण सच्ची नहीं है।ʹ वे लोग अपना उल्लू सीधा करते हैं यह तो हम जानते हैं लेकिन बाबाजी ! जब हम बार-बार सुनते हैं तो कभी-कभी लगता …

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