सत्संग सरिता
पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू जिसके जीवन में सत्त्वगुण नहीं है, दैवी लक्षण नहीं है वह सुख के पीछे भटक-भटककर जीवन खत्म कर देता है। सुख तो उसे जरा-सा मिला न मिला लेकिन दुःख, मुसीबत और चिंता उसके भाग्य में सदा ही बनी रहती है। अगर मनुष्य अपने जीवन में सब दुःखों की निवृत्ति और …