053 ऋषि प्रसादः मई 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

दीक्षा से दिशा


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू धर्म मनुष्य को जीवन जीने की सही दिशा देता है। धर्म की व्याख्या स्वामी विवेकानंद ने बहुत ही सुन्दर तरीके से की है। वे कहते हैं, ʹधर्म अनुभूति की वस्तु है। मुख की बात, मतवाद अथवा युक्तिमूलक कल्पना नहीं है, चाहे वह कितनी ही सुन्दर हो। आत्मा की ब्रह्मस्वरूपता को …

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आत्मज्ञान की महिमा


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञान की बड़ी महिमा है। एक व्यक्ति को दुनियाभर का धन दे दो, दुनियाभर का सौन्दर्य दे दो लेकिन आत्मज्ञान से अगर वचिंत रखा तो वह अभागा रह जायेगा। उसके हृदय में अशांति जरूर रहेगी, खटकाव जरूर रहेगा और जन्म-मरण का चक्र उसके सिर पर मँडराता ही रहेगा। फिर किसी-न-किसी …

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आपकी सबसे बड़ी कमजोरी


पूज्यपाद संत श्री आशारामजी बापू आज के दौर में मनुष्य श्रद्धा रखने के पूर्व, श्रद्धावान बनने के पूर्व तर्क पहले रखता है। हर बात में अपनी बुद्धि की बुद्धिमानी दर्शाना चाहता है लेकिन ऐसी बुद्धिमानी किस काम की जो आपको बुद्धिदाता से ही दूर रखे ? यह भी कैसा संयोग है कि आप स्वयं को …

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