094 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2000

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संतों से कुछ न माँगिये


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ʹश्रीयोगवाशिष्ठ महारामायणʹ में आता हैः ʹयदि संतों से कुछ भी न माँगिये तो भी वे अमृतरूपी वचनों की वर्षा कर देते हैं। जैसे पुष्पों से बिना माँगे सुगंध प्राप्त होती है ऐसे ही संतजनों से बिना माँगे ही ज्ञान का अमृत प्राप्त हो जाता है।ʹ यह जरूरी नहीं …

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काश ! यदि आज के नेता भी ऐसे होते….


(लाल बहादुर शास्त्री जयंतीः 2 अक्तूबर) संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से सन् 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया था तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री जी ने देश की जनता से  अपील की थीः “घर का खर्चा कम कर दो क्योंकि युद्ध के समय सरकार को धन की …

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आत्मज्ञान के प्रकाश से अँधेरी अविद्या को मिटाओ


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से मिथ्या प्रपंचच देख दुःख जिन आन जीय। देवन को देव तू तो सब सुखराशि है।। अपने अज्ञान ते जगत सारो तू ही रचा। सबको संहार कर आप अविनाशी है।। यह संसार मिथ्या व भ्रममात्र है लेकिन अविद्या के कारण सत्य भासता है। नश्वर शरीर में अहंबुद्धि तथा परिवर्तनशील …

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