Monthly Archives: October 2013

समाज की देख पीड़ा, संत ने उठाया बीड़ा


पूज्यपाद भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवसः 11 नवम्बर 2013

अपनी आत्ममहिमा में जगे महापुरुषों की हस्ती-मस्ती का वर्णन ही नहीं किया जा सकता। आत्मज्ञान की ऊँचाइयों को प्राप्त करने के बाद उनके लिए इस संसार में न कुछ पाना शेष होता है, न कुछ जानना। फिर भी वे करुणासिंधु महापुरुष करूणा करके समाज के बीच रहते हैं, लोगों के पाप-ताप व दुःखों को हरकर उन्हें आत्मज्ञान की  सघन, शीतल छाया देते हैं। परहित के लिए वे अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।

जैसे बच्चे की पीड़ा माँ से सहन नहीं होती ऐसे ही लोक-मांगल्य में सदैव रत रहने वाले महापुरुषों से किसी का दुःख सहन नहीं होता।  त्रिलोकहितैषी, निष्काम कर्मयोग के मूर्तिमंत स्वरूप भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज ऐसे ही लोकसंत थे। उनके प्रत्येक चेष्टा समष्टि के हित के लिए ही थी। उनकी परोपकारमयी समाजहित की भावना को याद करके बापू जी बताते हैं- “1930-40 की बात है। मेरे गुरु जी उत्तरकाशी में रहते थे। वहाँ राजा ने कच्चा पक्का पुल बनवाया था, बाढ़ आती तो वह पुल बह जाता। बरसात में नदी की उस तरफवाले लोग सड़क की तरफ नहीं आ सकते थे। गाँव कट जाते थे। बरसात बंद हो और फिर सरकारी लोग लगें, बाँस-बल्ली और छोटी-मोटी पुलिया जो लाख-पचास हजार रूपये में बन जाय, वह सरकार बना देती थी।

मेरे गुरु जी के हृदय में दया आयी कि ‘ये गाँव के लोग आटा-दाल, चीज वस्तु लेने को कैसे जायेंगे ? दो-दो महीना उत्तरकाशी से संबंध कट जाता है।’ राजा के पास इतनी सम्पदा नहीं थी कि वह और पुल बना सके। तो साँईं लीलाशाहजी कराची से रिटायर्ड इंजीनियर भक्त को ले आये और बोलेः ‘इधर पुल बनाना है।’ रुपये पैसों से गुरु जी उपराम थे, फिर भी लोक-मांगल्य हेतु आखिर उन्होंने सिंध में बात की कि ‘ऐसा-ऐसा… उत्तरकाशी में हम गर्मियों में जाते हैं, वहाँ साधु संत रहते हैं। छोटी-मोटी बरसात से ही गंगा नदी के तेज बहाव के कारण तीन चार पुलियाँ बह जाती हैं तो लोग बेचारे दुःखी रहते हैं।’ तो लोगों ने खुलकर पैसे दिये। अलग-अलग गाँवों को जोड़ने वाले तीन झूला-पुल (पैदल जाने वालों के लिए) मेरे गुरु जी ने बनवाये। अभी भी वे पुराने पुल हैं।

राजा को जब पता चला कि संत लीलाशाहजी महाराज ने गाँववालों के दुःख को देखकर पुलियाएँ बनवा दीं तो वे दर्शन करने को आये। बोलेः “बाबा ! जो काम राज्य नहीं कर पाया वह आपने किया है। आपके खाने-पीने, सीधे सामान की व्यवस्था हमारे राज्यकोष से होगी। आपने उत्तरकाशी में हमारी प्रजा के लिए 3-3 पुल बनवायें हैं।”

बाबा ने कहाः “हम तो संत आदमी हैं, हमे राज्य के अन्न की जरूरत नहीं है। जहाँ जाते हैं भक्त ले आते हैं। उनका थोड़ा-थोड़ा लेने से उनको पुण्य होता है, संतोष होता है।

तब राजा ने सिर झुकाते हुए कहाः “जैसे गुरूनानक शाह थे, ऐसे आप भी लीलाशाह हो। आपकी गढ़वाल रियासत के प्रति जो सेवा है, उसके लिए मैं नतमस्तक होकर आपका अभिवादन करता हूँ।”

जो कार्य वहाँ का राजा करने में अपने को असमर्थ महसूस करता था, वह कार्य साँईं श्री ने सहज में ही सम्पन्न कर लोगों की पीड़ा व कठिनाइयों को हर लिया। लोगों के सच्चे हितैषी, सच्चे मार्गदर्शक व उनके दुःखों और कष्टों को समझने व हरने वाले ऐसे सच्चे संतों के प्रति सम्पूर्ण मानव-जाति सदैव ऋणी रहेगी।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 23, अंक 250

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राष्ट्र जागृति


अब देश में महान क्रांति होगी !

महामंडलेश्वर श्री देवेन्द्रानंद गिरिजी, राष्ट्रीय महामंत्री अखिल भारतीय संत समिति

‘अखिल भारतीय संत समिति’ के 11 लाख संत जो हमारे सदस्य हैं, हम पूरी समिति के साथ जहाँ बापू की पसीना गिरेगा वहाँ खून देने को तैयार हैं। अब देश में महान क्रांति होगी ! हमें नाज है बापू पर ! क्यों ?

हम नाज उन पर क्या करें !

जिन्हें जमानों ने बदल दिया।

हम तो बापू जी पर नाज करते हैं।

जो जमाना बदल दे रहे हैं।।

पाखंडी को पद से निकालने के लिए धन्यवाद !

युवा क्रांतिद्रष्टा संत दिनेश भारती जी

आज प्रमोद कृष्णम् जैसे पाखंडी जो पैसे से तुलते हैं, वे बापू जी के ऊपर आक्षेप लगाते हैं। प्रमोद कृष्णम् को ‘अखिल भारतीय संत समिति’ ने उनके पद से ही निकाल दिया, संत समिति को धन्यवाद है।

श्री आशु मोंगिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, गौरक्षा सेनाजो बापू के बारे में पेड समाचार छाप रहे हैं, उनसे मैं एक चीज पूछता हूँ कि क्या आप लोग कोई यथार्थ काम करते हैं या सिर्फ पैसा ले के काम करते हैं ?

श्री नारायण साँईं जीः पूरे  विश्व में शांति, भगवत्प्रेम, करुणा, सदभावना, माधुर्य का संदेश भारत ने पहले भी पहुँचाया है और पूज्य बापू जी के माध्यम से यह संदेश सदैव जाता रहा है। षड्यन्त्रकारी लाख कोशिशें कर लें लेकिन उनके षड्यन्त्र सफल नहीं होंगे !

बापू जी का अपमान समाज का अपमान है

श्री लक्ष्मी नारायण जी (दायमा),

केन्द्रीय मार्गदर्शक, विश्व हिन्दू परिषद

पूज्य बापू जी ने अपने जीवन की पूरी शक्ति, अपनी पूरी आध्यात्मिक शक्ति इस समाज को खड़ा करने के लिए लगा दी है। अब समाज इस शक्ति का सदुपयोग करे और कहे कि बापू जी ! अब हम आपका अपमान सहन नहीं करेंगे, नहीं होने देंगे। आपका अपमान समाज का अपमान है।

हमारे पूज्य बापू जी भारत के गौरव हैं

स्वामी श्री ओम जी महाराज, अध्यक्ष, हिन्दू राष्ट्रनिर्माण महासंघ

संत आशाराम बापू जी करूणावतार, अवतारी संत हैं। हमारे बापू एक साधारण संत नहीं हैं, लीलाशाही (सदगुरु स्वामी लीलाशाहजी की) परम्परा के महान संत हैं। हमारे परम पूज्य बापू जी भारत के गौरव हैं, हिन्दू धर्म के गौरव हैं। जो भी षड्यन्त्रकारी उनके खिलाफ षड्यंत्र में शामिल हैं, बहुत जल्द उनका पर्दाफाश होने वाला है। पहले भी कुछ-न-कुछ झूठे आरोप लगाये गये थे, जिनको सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त किया।

मैं उन बिकाऊ समाचार देने वालों से पूछना चाहता हूँ कि ‘जब बापू पर झूठा आरोप लगाया गया, आपने बवंडर खड़ा किया था लेकिन जब उनको निर्दोष घोषित किया गया तो आपने उनके पक्ष में एक पंक्ति भी क्यों नहीं बोली ? 2 मिनट भी क्यों नहीं दिखाया ?’ हमारे पूज्य शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी को भी झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पूरे विश्व में बवंडर मचा। बाद में शंकराचार्य जी निर्दोष भी साबित हुए थे। हम आभारी हैं, ऋणी हैं परम पूज्य बापू जी के। बापू जी ही एक ऐसे संत थे जो शीघ्र ही जंतर-मंतर (दिल्ली) में आये और उनके नेतृत्व में हमने वहाँ पर आन्दोलन किया। जब हमारे पूज्य शंकराचार्य जी के लिए बापू जी आंदोलन कर सकते हैं तो हम सभी संत मिलकर बापू जी के लिए आंदोलन क्यों नहीं कर सकते !

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 11,15 अंक 250

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पूज्य बापू जी को ‘पीडोफिलिया’ बीमारी होने के दुष्प्रचार की पोल-खोल


1 अक्तूबर को टी.वी. चैनलों व 2 अक्तूबर को अखबारों द्वारा झूठी खबर प्रचारित की गयी कि बापू जी को पीडोफिलिया की बीमारी है, जोकि सरासर गलत है।

सरकारी वकील के सहयोगी वकील जो कि शिकायतकर्ता के भी वकील हैं, उन्होंने कोर्ट में पीडोफिलिया (बाल यौन शोषण से संबंध रखने वाली बीमारी) की जो बात कही थी, उसका मीडिया के सामने स्पष्टीकरण करते हुए कहा कि ‘जिसके ऊपर ऐसे आरोप लगते हैं उसे पीडोफिलिया हो सकता है, ऐसा हमने कहा था। हमने पीडोफिलिया का आरोप नहीं लगाया है।”

‘पीडोफिलिया की बात केवल उक्त वकील के दिमाग व समझ की महज एक उपज थी, उसमें कोई तथ्य भी नहीं था। उनकी बात की पुष्टि के लिए उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था।

दूसरा, न्यायालय के द्वारा नियुक्त बोर्ड के द्वारा बापू जी के मेडिकल जाँच की गयी तब उसी बोर्ड के द्वारा दी गयी रिपोर्ट के अनुसार पूज्य बापू जी मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं।

वास्तविकता यह होते हुए भी कुछ मीडिया ने पूज्य बापू जी को बदनाम करने के उद्देश्य से खबर फैलायी कि ‘सरकारी वकील ने कोर्ट में बापू जी की मेडिकल रिपोर्ट पेश की, जिसके मुताबिक वे पीडोफिलिया नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं।’ कैसी नीची मानसिकता है !

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 8, अंक 250

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