दुःख दर्द बढ़ गए, परेशानियाँ बढ़ गईं, रोग बीमारियाँ बढ़ गयी, मेहंगाई बढ़ गयी, तो क्या करना चाहिए?
देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है | मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं |
1.शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं |
2.जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है |
3.प्रसन्नता बढ़ती है |
4.द्रव्य की वृद्धि होती है |
5.लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण ख़त्म होते हैं
नौ दिन नहीं तो कम से कम 7 दिन / 6 दिन /5 दिन , या आख़िरी के 3 दिन तो जरुर उपवास रख लेना चाहिए |
देवी भागवत में आता है कि देवी की स्थापना करनी चाहिए | नौ हाथ लम्बा भण्डार( मंडप/स्थापना का स्थान) हो |
मकान बनवाते समय याद रहे…
मकान बनवाते तो
1.कमरा साड़े तेरह फ़ीट (13.5 फ़ीट) लम्बा और साड़े दस फ़ीट( 10.5 फ़ीट) आड़ा बनाओ |
2.खिड़की बनाओ तो दक्षिण की तरफ हो उत्तम- ज्यादा फायदा, पश्चिम की तरफ हो थोड़ी खुले, आरोग्य के लिए पश्चिम की हवा अच्छी नहीं | पूरब की तरफ हो तो ठीक-ठीक लेकिन दक्षिण से हवा आये और उत्तर से जाये तो उत्तम
3.भगवती रुप में कन्या का पूजन हो (पूजन करने के लिए कन्या कैसी हो इसका वर्णन बापूजी ने किया) और प्रेरणा देनेवाली ऐसी कन्या को भगवती समझ कर पूजन करने से दुःख मिटता है, दरिद्रता मिटती है |
नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो |
नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए |
नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा,विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है |
नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें | रोग नाश होते हैं |
या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः ||
जप करें; पूरा साल आरोग्य रहेगा |
नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काकाली का रुप मानकर पूजन करके भोजन कराए तो शत्रुओं का दमन होता है |
नवरात्रि के छटे दिन 7 वर्ष की कन्या काचंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन कराए तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है |
नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवीरुप में पूजन कर के भोजन कराए तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए,शत्रु पे धावा बोलने के लिए |
नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा पूजा करनी चाहिए | सभी संकल्प सिद्ध होते हैं | शत्रुओं का संहार होता है |
नवरात्रि के नवमी को 9 से 17 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है | नवरात्रि में पति पत्नी का व्यवहार नहीं, संयमसे रहें |
( परम पूज्य सदगुरूदेव बताये की संत लालजी महाराज को नवरात्रि मे देवी माँ ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए थे | जब महाराज देवी ने माता को पूछा कि रात भर लोग जाग कर गरबा करते हैं वहाँ नहीं जाती और मुझे दर्शन देती हैं तो माता मन्द-मन्द मुस्कुराते अंतर्धान हो गयीं..)
देवी-देवता, गन्धर्व, किन्नर ये होते हैं | कश्मीर में सरस्वती माता का एक मंदिर है, उसके ४ दरवाजे हैं | पूरब, पश्चिम और उत्तर का दरवाजा खुला रखते हैं , लेकिन दक्षिण का दरवाजा तभी खुलेगा जब दक्षिण से कोई महापुरुष आएगा | तो शंकराचार्य गए और उन्होंने पूजन करके दरवाजा खोला और अन्दर जाकर गद्दी पे बैठने लगे तो सरस्वती माँ स्वयम प्रगट हो गयीं और बोलीं कि तुम कैसे इस के अधिकारी हो गए, तुमने तो ऐसा काम किया है कि विद्वान और मूर्ख का भी | तो शंकराचार्य जी बोले कि, “वो मूर्खता नहीं थी माँ, वो तो सूक्ष्म शरीर का उपयोग करके अनुभव कराने के लिए ऐसा किया था | मैं तो तुम्हारा बालक हूँ माँ” | माँ ने कहा कि “धन्य हो”! वो दरवाजा कश्मीर के मंदिर मे आज अभी भी खुला है !