233 ऋषि प्रसादः मई 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

हरि ब्यापक सर्वत्र समानाः…..


(पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी) गुजरात में नारायण प्रसाद नाम के एक वकील रहते थे। वकील होने के बावजूद भी उन्हें भगवान की भक्ति अच्छी लगती थी। नदी में स्नान करके गायत्री मंत्र का जप करते, फिर कोर्ट कचहरी का काम करते। कोर्ट-कचहरी में जाकर खड़े हो जाते तो कैसा भी केस हो, निर्दोष …

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बुद्धेः फलं अनाग्रहः


(पूज्य बापू जी की तात्त्विक अमृतवाणी) सत्य अगर बुद्धि का विषय होता तो तीक्ष्ण बुद्धिवाले – मैजिस्ट्रेट, न्यायाधीश, वकील आदि सत्यस्वरूप भगवान को, रब को अपनी तिजोरी में, अपनी जेब में रख लेते। संसारी कावे-दावे (चालबाजियों) में तीक्ष्ण बुद्धि काम आ सकती है लेकिन परमात्मा को पाना है तो पवित्र बुद्धि चाहिए। और बुद्धि वॉशिंग …

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बुद्धि को तैलीय बनायें


(पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी) बुद्धि तीन प्रकार की होती है। एक होती है नौदी बुद्धि। घोड़े की पीठ पर पहले एक गद्दी रखी जाती है, जिस पर जीन कसी जाती है। उसे ʹनौदʹ कहते हैं। उसमें सुआ भौंक कर निकाल दो तो वैसे की वैसी ही रह जाती है वैसी ही नौदी बुद्धि …

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