108 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

कर्म के प्रकार


(पुण्यतोया साबरमती के तट पर स्थित आश्रम में अपने एकांत निवास के दौरान कर्म के प्रकार का वर्णन करते हुए पूज्य श्री ने बतायाः) कर्म तीन प्रकार के होते हैं- प्रारब्ध कर्म, संचित कर्म और क्रियमाण कर्म। मान लो हजारों मन अनाज का ढेर पड़ा है, उसमें से आपने दस किलो अनाज पीसकर आटा बना …

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उत्तम पद


(महर्षि बाल्मीकि कृत श्री योगवाशिष्ठ महारामायण में उत्तम पद की व्याख्या कर रहे हैं ब्रह्मर्षि वशिष्ठ और सुन रहे हैं भगवान श्रीराम।) भगवान श्री राम ने वशिष्ठ से पूछाः हे मुनिशार्दूल ! त्रिभुवन में सबसे उत्तम चीज कौन-सी है, उत्तम पद कौन सा है और उत्तम पुरुष कौन सा है ? वशिष्ठ जी ने कहाः …

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अंग्रेजों की व्यक्तिगत मान्यताओं का पुलिन्दा……


दिनांकः 11 फरवरी 1871 के राजपत्र में प्रकाशित गृहमंत्रालय के संकल्पानुसार अंग्रेजी सरकार ने भारत के इतिहास संबंधी खोजों के विषय में अपनी रूचि दिखाते हुए पुरातत्वीय एवं अन्य ध्वंसावशेषों के एक शास्त्रीय, रीतिबद्ध अभिलेख एवं वर्णानात्मक विवरण की आवश्यकता पर बल दिया था। इस पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रमुख जनरल कनिंघम को बनाया गया। यद्यपि …

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