114 ऋषि प्रसादः जून 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

और हृदय परिवर्तन हो गया…


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से चाहे कोई विश्व का चक्रवर्ती सम्राट ही क्यों न हो किन्तु इस जहाँ से तो उसे भी खाली हाथ ही जाना है। सिकंदर दारा हल्या वया सोने लंका वारा हल्या वया। कारुन खजाने जा मालिक हथे खाली विचारा हल्या वया।। ‘सारे विश्व पर राज्य करने का स्वप्न …

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ईश्वरीय अंश कैसे विकसित करें ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से पशुता हर जीव में होती है, मानवता मनुष्य में होती है और ईश्वरत्व जड़-चेतन सभी में होता है। मनुष्य एक ऐसी जगह पर खड़ा है कि उसके एक तरफ पशुता है तो दूसरी तरफ ईश्वरत्व है और मनुष्यता उसे लानी पड़ती है। खुद मनुष्य-शरीर में होते हुए …

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धन्य कौन ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से एक बार ऋषि-मुनियों में आपस में चर्चा चली कि कौन-सा युग श्रेष्ठ है जिसमें थोड़ा-सा पुण्य अधिक फलदायक होता है और कौन सुविधापूर्वक उसका अनुष्ठान कर सकता है ? किसी ने कहा सतयुग ही श्रेष्ठ युग है, किसी ने कहा द्वापर तो किसी ने कुछ… ऐसे ही …

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