193 ऋषि प्रसाद जनवरी 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अपनी डफली अपना राग


(परम पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) आत्मा के प्रमाद से जीव दुःख पाते हैं । आकाश में वन नहीं होता और चन्द्रमा के मंडल में ताप नहीं होता, वैसे ही आत्मा में देह या इन्द्रियाँ कभी नहीं हैं । सब जीव आत्मरूप हैं । वृक्ष में बीज का अस्तित्व छुपा हुआ है, ऐसे ही …

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उनकी सहजावस्था को वे ही जानते हैं


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) एक बार एक पंडित जी श्री रमण महर्षि के पास गया और बातचीत के दौरान उसने उनसे कोई प्रश्न किया । महर्षि ने उत्तर दिया । उसने दूसरा प्रश्न किया, महर्षि ने उसका भी उत्तर दिया । लोगों के सामने अपने को विशेष दिखाने के लिए उसने फिर से …

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