अपनी डफली अपना राग
(परम पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) आत्मा के प्रमाद से जीव दुःख पाते हैं । आकाश में वन नहीं होता और चन्द्रमा के मंडल में ताप नहीं होता, वैसे ही आत्मा में देह या इन्द्रियाँ कभी नहीं हैं । सब जीव आत्मरूप हैं । वृक्ष में बीज का अस्तित्व छुपा हुआ है, ऐसे ही …