222 ऋषि प्रसादः जून 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ॐकार की महिमा का ग्रंथः प्रणववाद


पूज्य बापू जी के सत्संग-अमृत से एक सूरदास (प्रज्ञाचक्षु) ब्राह्मण थे धनराज पंडित। वे साधु हो गये। काशी में भगवानदास डॉक्टर बड़ा धर्मात्मा था। धनराज पंडित उसके क्लीनिक पर गये और बोलेः “डॉक्टर साहब ! ॐ नमो नारायणाय। मैं भूखा हूँ। आज आपके घर भिक्षा मिल जायेगी क्या ?” “जरा रुकिये पंडित जी !” पीछे …

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भगवद्-उपासना के आठ स्थान


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से भगवान श्रीकृष्ण ने भागवत में कहा कि मेरी उपासना के आठ स्थान हैं। उनमें से किसी में भी लग गय तो भगवद् रस, भगवत्प्रीति, भगवत् तृप्ति, भगवन्माधुर्य में प्रवेश मिल जाता है। अर्चायां स्थण्डिलेऽग्नौ वा सूर्ये वाप्सु हृदि द्विजे। द्रव्येण भक्तियुक्तोऽर्चेत् स्वगुरुं माममायया।। ‘भक्तिपूर्वक निष्कपट भाव से अपने पिता …

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