309 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सेवा का उद्देश्य क्या है ?


सेवा का उद्देश्य क्या है ? सेवा के द्वारा तुम्हारा हृदय शुद्ध होता है। अहंभाव, घृणा, ईर्ष्या, उच्चता की भावना और इसी प्रकार की सारी कुत्सित भावनाओं का नाश होता है तथा नम्रता, शुद्ध प्रेम, सहानुभूति, सहिष्णुता और दया जैसे गुणों का विकास होता है। सेवा से स्वार्थ-भावना मिटती है, द्वैत भावना क्षीण होती है, …

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दरिद्रता कैसे मिटे और ‘पृथ्वी के देव’ कौन ?


एक निर्धन व्यक्ति ने महात्मा बुद्ध से पूछाः “मैं इतना गरीब क्यों हूँ ?” बुद्ध ने कहाः “तुम गरीब हो क्योंकि तुमने देना नहीं सीखा।” “महात्मन ! लेकिन मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है।” “तुम्हारे पास देने को बहुत कुछ है। तुम्हारा चेहरा एक निर्दोष मुस्कान दे सकता है, तुम्हारा मुख …

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विजयी होने का संदेश देती है विजयादशमी-पूज्य बापू जी


(विजयदशमी, दशहराः 18 व 19 अक्तबूर 2018) लौकिक विजय वही होती है जहाँ पुरुषार्थ और चेतना होती है। आध्यात्मिक विजय भी वहीं होती है जहाँ सूक्ष्म विचार होते हैं, बुद्धि की सूक्ष्मता होती है, चित्त की शांत दशा होती है। तो आध्यात्मिक और लौकिक – दोनों प्रकार की विजय प्राप्त करने का संदेश विजयदशमी देती …

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