सम्पादक, राष्ट्रीय पत्रिका ‘हिन्दू वॉइस
दिनांक 27 नवंबर 2009 को बहुत से टी.वी. चैनलों पर प्रसारित हुए समाचारों को देखकर मैं हैरान हो गया। गुजरात पुलिस आसाराम बापू के आश्रम में घुसकर वहाँ के लोगों को निर्दयतापूर्वक मार रही थी। बापू जी के साबरमती आश्रम में रहने वाले साधकों को ऐसे मार रही थी जैसे वे कोई कुख्यात अपराधी हों।
समाचार संवाददाताओं का कहना है कि पुलिस ने आसाराम बापू के आश्रम में घुसकर लगभग 150 साधकों को गाँधीनगर में हुई घटना के अपराध में गिरफ्तार कर लिया। गाँधीनगर डी.एस.पी. पीयूष पटेल ने पी.टी.आई. को बताया कि “हमने आश्रम से लगभग 150 लोगों को सर्च ऑपरेशन के समय गिरफ्तार किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि आश्रम में संदेहास्पद वस्तु या कोई भी हथियार नहीं मिला।
अपने व्यवसाय के संबंध में आश्रम के बहुत से साधकों से मैं मिल चुका हूँ। उनसे बातचीत और व्यवहार के फलस्वरूप मैं ऐसा कह सकता हूँ कि किसी आदमी को मारना तो दूर वे एक मक्खी भी नहीं मार सकते। ऐसे साधुओं को घोर अपराधियों की तरह मारना-पीटना यह गुजरात पुलिस का कार्य निंदनीय है। आश्चर्य की बात यह है कि ऐसा निन्दनीय कार्य उस प्रदेश में हुआ जहाँ हिन्दुत्व के पक्षधर श्री नरेन्द्र मोदी का शासन है और जिन पर हमें गर्व था। कुछ समय पहले उनकी सरकार द्वारा अहमदाबाद और सूरत के बहुत से मंदिरों को ढहा दिया गया। ऐसा हिन्दुविरोधी कार्य करके श्री मोदी क्या प्रमाणित करना चाहते हैं ? वे सभी काँग्रेसियों, कम्युनिस्टों, सपा व बसपा की तरह अपने को सेक्यूलर साबित करना चाहते हैं ? यदि श्री मोदी ऐसा सोच रहे हैं तो वे अपनी कब्र खोद रहे हैं, अपने कट्टर हिन्दु समर्थक मतदाताओं को अपने से दूर कर रहे हैं।
पुलिस के द्वारा किसी मस्जिद में घुसकर किसी अपराधी को पकड़ने और मारने की घटना मैंने न तो सुनी है, न तो देखी है। किसी मस्जिद या चर्च में घुसकर लाठीचार्ज करने की बात तो दूर है, केरल स्थित मराड़ में सन् 2003 में शुक्रवार की नमाज अदा कर मस्जिद से लौट रहे मुसलमानों ने जब बहुत से हिन्दु मछुआरों की निर्मम हत्या कर दी तो भी पुलिस ने हत्यारों के साथ इस तरह वर्तन नहीं किया था, न तो वे मस्जिद में घुसे थे। मैंने यह भी नहीं सुना है कि गुजरात पुलिस ने किसी मस्जिद पर छापा मारकर वहाँ छिपे राष्ट्रद्रोही लोगों को कभी पकड़ा हो।
मैं आसाराम बापू का अनुयायी नहीं हूँ। मैं किसी संत की वकालत नहीं करता। परंतु एक कट्टर हिन्दू होने के नाते मैं गुजरात पुलिस की इस सशस्त्र हिन्दूविरोधी कार्यवाही का विरोध करता हूँ। यदि कोई गैरकानूनी कार्य करता है तो कानून उस पर कार्यवाही कर उसे दंडित कर सकता है, परंतु किसी आश्रम में घुसकर साधकों को निर्दयतापूर्वक पीटना एक जंगली और अप्रजातांत्रिक कृत्य है। क्या गुजरात पुलिस के पास मस्जिद या चर्च में घुसकर इस तरह से बर्बतापूर्वक किसी को मारने की हिम्मत है ?
मेरे साथ अन्य हिन्दू भी श्री मोदी को हिन्दुत्व का रक्षक समझते हैं। क्या वे इस घटना के बारे में स्पष्टीकरण देंगे ? वे यह भी बताये कि वे मस्जिद या चर्च में छिपे राष्ट्रद्रोहियों के प्रति भी इसी तरह की कार्यवाही करेंगे ?
सभी हिन्दू साधु संतों के लिए यह एक चेतावनी है। यदि वे संगठित नहीं होते हैं तो वे भी इस प्रकार की पुलिस बर्बरता के शिकार होंगे।
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