➡ बापूजी कहते है कौन आज्ञा दिया इनको व्यासपीठ पर बैठने का ? सत्संग करने का,, मेरे नाम का दुरुपयोग करने का !!
उपरोक्त वचन दीदी (प्रभुजी) के बारे में कहे गए थे. संचालक अगर दीदी को भी गुरुकी आज्ञा के बिना आश्रम में व्यासपीठ पर बैठकर प्रवचन करने देते है तो वे गुरु आज्ञा का उल्लंघन करते है. अभी भी दीदी के भक्त दीदीके सत्संग कराने के लिए मेरे गुरुदेव के भक्तों से दान मांगते है और कोई समझदार साधक मना करे तो उनसे जबरदस्ती करके भी दान लेते है इस बात का मेरे पास प्रमाण है. यह गुरुदेव के नाम का दुरुपयोग नहीं तो और क्या है?
Ye baat didi tak pahuchayi Jaye. Aisa mera mat hai.