➡ सालों पहले घर-परिवार छोड़कर आश्रम में रहने लगे साधकों का,, फिर संसार में वापस अाने का रास्ता बंद हो जाने पर,, आश्रम में मजबूरी वश रहकर सच्चाई को जानते हुए,, मुंह और कान को बंद करके,, गद्दार संचालकों के कारनामे देखते हुए,, गुरु परिवार को मुसीबत में देखते हुए,, सबकुछ चुपचाप सहन कर रहें है ।।
जिस में तितिक्षा का गुण नहीं है वही ऐसा सोच सकते है. साधक अपना कल्याण करने के लिए स्वेच्छा से आश्रम में रहते है. इस में मजबूरी जैसी कोई बात नहीं है. कई पलायनवादी आश्रम छोड़कर चले गए. जिसको जाना हो वह जा सकता है. कायर लोगों का यह मार्ग नहीं है. संचालकों को गद्दार कहनेवाले खुद ही गद्दार है यह मैंने पहले ही कह दिया है. गुरु परिवार की मुसीबत का कारण आश्रम नहीं है.
मेरा मानना है कि पूज्य बापू जी के साथ अन्याय हो रहा है. सनातन धर्म की रक्षा करने वाले ऐसे संत के साथ न्याय हो, हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं.