057 ऋषि प्रसादः सितम्बर 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

बीजमंत्रों के द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा


भारतीय संस्कृति ने आध्यात्मिक विकास के साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। आजकल सुविधाओं से संपन्न मनुष्य कई प्रकार की चिकित्सा-पद्धतियों को आजमाने पर भी शारीरिक रोगों व मानसिक समस्याओं से मुक्त नहीं हो सका। एलोपैथी की जहरीली दवाइयों से ऊबकर अब पाश्चात्य जगत के लोग Alternative Medicine के नाम पर प्रार्थना, …

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आत्मबल ही वास्तविक बल है


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू जो बलवान है, प्राणशक्ति से युक्त है उसके लिए पराये भी अपने हो जाते हैं जबकि दुर्बलों के लिए अपने भी पराये हो जाते हैं। वीरभोग्या वसुन्धरा। बल ही जीवन है। निर्बलता ही मौत है। समस्त बलों का उदगमस्थल है आत्मा। आत्मा के कारण ही सब प्रिय लगता है और …

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अनेक में एक – पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू


वेदांत के ज्ञान की महिमा अमाप है। वेदांत का ज्ञान सुनने से जितना पुण्य होता है उतना पुण्य चांद्रायण व्रत रखने से या पैदल यात्रा करके पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने से या अश्वमेध यज्ञ करने से भी नहीं होता है। किसी आश्रम में कोई नया साधक गुरुजी के दर्शन-सत्संग के लिए आ पहुँचा। उस साधक …

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