047 ऋषि प्रसादः नवम्बर 1996

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

शास्त्र-महिमा – पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू


  ʹगुरु ग्रंथ साहिबʹ में आता है किः साधु ते होवहि न कारज हानि। साधु से कार्य की हानि नहीं होती। साधु किसको कहते हैं ? सत्पुरुख पिछानिया सत्गुरु ता का नाम। तिसके संग सिख उदरियै नानक गुण गान।। जिन्होंने उस सत्यस्वरूप को जाना है, सत्यस्वरूप में जिनकी मति विश्रान्ति पाती है वे जो बोलते …

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परमात्मा प्राप्ति कैसे हो ? – पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू


सर्व भूत-प्राणी एक ही परमात्मा में बसे हुए हैं और एक ही परमात्मा सब भूत-प्राणियों में है। जैसे, सारे घट आकाश में हैं और सब घटों में आकाश है, वैसे ही सब जीवों में आत्मा है और हर एक जीव आत्मा परमात्मा से ही अस्तित्त्व में है। दोनों में भिन्न कुछ भी नहीं, यह ज्ञान …

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जीवन्मुक्त एवं विदेहमुक्त – पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू


  ʹजीवन्मुक्त एवं विदेहमुक्त किसे कहते हैं ?ʹ यह प्रश्न भगवान श्रीराम ने महर्षि वशिष्ठजी से पूछा था। जीवन्मुक्त वे महापुरुष होते हैं जो जीते-जी अपने मुक्त आत्मस्वरूप का अनुभव करते हैं। दुःख अथवा सुख के समय, अनुकूलता अथवा प्रतिकूलता के समय, उम महापुरुषों का यह अनुभव होता है कि सब सपना है, सब बीतने …

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