056 ऋषि प्रसादः अगस्त 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गोपियों की अनन्य प्रीति


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू जब तक नश्वर पदार्थों में आसक्ति होती है, नश्वर चीजों में प्रीति होती है और मिटने वालों का आश्रय होता है जब तक अमिट तत्त्व का बोध नहीं होता तब तक जन्म-मरण का चक्कर नहीं मिटता। यदि हृदय में परमात्मा के प्रति प्रेम हो जाये तो फिर आज तक हमने …

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गर्भपात महापाप


परम श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुखदासजी महाराज जैसे ब्रह्महत्या महापाप है ऐसे गर्भपात भी महापाप है। शास्त्र में तो गर्भपात को ब्रह्महत्या से भी दुगुना पाप बताया गया है। यत्पापं ब्रह्महत्याया द्विगुणं गर्भपातने। प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते।। (पाराशरस्मृतिः 4.20) ʹब्रह्महत्या से जो पाप लगता है, उससे दुगुना पाप गर्भपात करने से लगता है। इस गर्भपातरूपी …

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बड़े कृपालु होते हैं ब्रह्मवेत्ता सत्पुरुष


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू योगिनामपि सर्वेषां मद् गतेनान्तरात्मना। श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।। ʹसब योगियों में जो भी श्रद्धावान योगी मुझ में एकत्वभाव से स्थित होता है, वह मुझे सर्वश्रेष्ठ मान्य है।ʹ (गीताः 6.47) अपनी-अपनी जगह पर योगियों का, उनके योगसामर्थ्य का महत्त्व तो है लेकिन भगवान के ʹमाम्ʹ के साथ जो …

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