उचित और सुख को एक कर दें
संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ज्यों-ज्यों भगवद् ज्ञान और भगवद् सुख मिलता है त्यों-त्यों संसार से वैराग्य होता है और ज्यों-ज्यों संसार से वैराग्य होता है त्यों-त्यों भगवदरज्ञान और भगवदसुख में स्थिति होती है। एक होता है उचित, दूसरा होता है सुख। उचित और सुख को एक कर दो तो जीवन परम सुख …