111 ऋषि प्रसादः मार्च 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संत को सताने का परिणाम


महाराष्ट्र में तुकाराम जी महाराज बड़े उच्च कोटि के संत थे। उनका नौनिहाल लोहगाँव में था। इससे वहाँ उनका आना जाना लगा रहता था। लोहगाँव के लोग भी उन्हें बहुत चाहते थे। वहाँ उनके कीर्तन में आस-पास के गाँवों के लोग भी आते थे। उनकी वाहवाही और यश देखकर शिवबा कासर उनसे जलता था। नेतागिरी …

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श्रद्धायुक्त दान का फल


एक सेठ था। वह खूब दान-पुण्य इत्यादि करता था। प्रतिदिन जब तक सवा मन अन्नदान न कर लेता तब तक वह अन्न जल ग्रहण नहीं करता था। उसका यह  नियम काफी समय से चला आ रहा था। उस सेठ के लड़के का विवाह हुआ। जो लड़की उसकी बहू बनकर आई, वह सत्संगी थी। वह अपने …

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त्याग और पवित्रता


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से त्याग और पवित्रता – ये भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक खजाने की दो अनुपम कुंजियाँ हैं। जीवन में त्याग होना चाहिए। आप कोई काम करते हैं और उसमें आपकी स्वार्थ बुद्धि होती है तो बुद्धि कुंठित हो जाती है और आपकी योग्यता कम हो जाती है। अगर स्वार्थरहित …

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