अधर्मी का धर्म
संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते। क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्तवोत्तिष्ठ परंतप।। ‘हे अर्जुन ! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती है। हे परंतप ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़ा हो जा।’ (गीताः 2.3) धर्म के नाम पर जब …