118: अक्तूबर 2002 : ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जालन्दरनाथ


कुरुवंश में एक अत्यंत प्रसिद्ध राजा जन्मेजय थे। उनकी सातवीं पीढ़ी के राजा का नाम बृहद्रवा था। बृहद्रवा की रानी का सुलोचना था। वे हस्तिनापुर पर राज्य करते थे। राजा बृहद्रवा ने सोमयाग करने का विचार किया। तदनुसार राजा बृहद्रवा ने एक शुभ मुहूर्त निश्चित किया। उस शुभ मुहूर्त में यज्ञ आरम्भ किया गया। चारों …

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जगत क्या है ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ‘श्री योगवाशिष्ठ महारामायण’ में पाँच प्रकार से जगत की व्याख्या करते हुए भगवान श्रीराम कहते हैं- 1. जगत मिथ्या है। 2. जगत आत्मा में आभासरूप है। 3. जगत कल्पनामात्र है। 4. जगत अनादि अविद्या से भासता है। 5. जगत का स्वभाव परिणामी है। जगत पहले नहीं था …

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कबीरा निंदक न मिलो….


अज्ञान-अंधकार मिटाने के लिए जो अपने-आपको खर्च करते हुए प्रकाश देता है, संसार की आँधियाँ उस प्रकाश को बुझाने के लिए दौड़ पड़ती हैं। टीका, टिप्पणी, निंदा, गलत चर्चाएँ और अन्यायी व्यवहार की आँधी चारों ओर से उस पर टूट पड़ते हैं। स्वामी विवेकानंद, भगिनी निवेदिता आदि को भी ऐसे निंदकों का सामना करना पड़ा …

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