197 ऋषि प्रसादः मई 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

शोषण नहीं पोषण करें – पूज्य बापू जी


प्राचीनकाल में हिम्मतनगर (गुजरात) से आगे रतनपुर नगर में रामराय नाम का एक धनवान सेठ रहता था । एक दिन उसने सोचा, ‘मेरे पास इतनी धन-सम्पत्ति है, राजा साहब यह सम्पत्ति देखें तो उनको भी पता चले कि मैं कोई साधारण आदमी नहीं हूँ ।’ सेठ ने अपनी पत्नी तथा चारों बेटों और बहुओं से …

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आध्यात्मिक मार्ग पर कैसे चलें ?


एक जिज्ञासु ने पूज्य लीलाशाहजी महाराज से पूछाः “ईश्वर की तरफ जाने की इच्छा तो बहुत होती है परंतु मन साथ नहीं देता । क्या करूँ ?” संतश्री ने कहाः “मुक्ति की इच्छा कर लो ।” जिज्ञासुः “परन्तु इच्छा-वासनाएँ मिटती नहीं हैं ।” संत श्री ने जवाब दियाः “इच्छा-वासनाएँ नहीं मिटती हैं तो उसकी चिंता …

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स्वभाव का सुधार


अभिमान और स्वार्थ-भावना ये दो बहुत बड़े दोष हैं । ये दोनों स्वभाव बिगाड़ने वाले हैं । इनसे अपना पतन होता है और दूसरों को दुःख होता है । अभिमान और स्वार्थ की भावना दूर करें तो स्वभाव सुधर जाय । व्यक्ति चाहता है एक तो मेरी बात रहे और दूसरा मेरा मतलब सिद्ध हो …

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