211 ऋषि प्रसादः जुलाई 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आरम्भ सँवारा तो सँवरता है जीवन


जीवन का आरम्भिक समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। जीवन का पतन और उत्थान बाल्यावस्था के संस्कारों पर ही निर्भर है। बाल्यावस्था व युवावस्था से ही जो व्यक्ति सदगुणों का संग्राहक है, दयालु है, उदार है, कष्टसहिष्णु है, कर्तव्यपरायण तथा प्रेमी है, आगे चलकर वही समाज में एक अच्छा मानव हो सकता है। युवावस्था में ही …

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एक भरोसा, एक आस, एक विश्वास…. – पूज्य बापू जी


सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे। तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः।। जो सत् है, चित् है, जो आनन्दस्वरूप है उस पूर्ण परमात्मा का भरोसा, उसी की आस, उसी का विश्वास …..! पूर्ण की आस पूर्ण कर देगी, पूर्ण का भरोसा पूर्णता में ला देगा, पूर्ण का विश्वास पूर्णता प्रदान कर देगा। नश्वर की आस, नश्वर का भरोसा, नश्वर का विश्वास …

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