आरम्भ सँवारा तो सँवरता है जीवन
जीवन का आरम्भिक समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। जीवन का पतन और उत्थान बाल्यावस्था के संस्कारों पर ही निर्भर है। बाल्यावस्था व युवावस्था से ही जो व्यक्ति सदगुणों का संग्राहक है, दयालु है, उदार है, कष्टसहिष्णु है, कर्तव्यपरायण तथा प्रेमी है, आगे चलकर वही समाज में एक अच्छा मानव हो सकता है। युवावस्था में ही …