211 ऋषि प्रसादः जुलाई 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

।।गूरूपूर्णिमा।।


गुरुदेव कह रहे हैं- “हे जीव ! हे वत्स ! अब तू तेरे निज शिव-स्वभाव की ओर जा। अब तू प्रगति कर। ऊपर उठ। कब तक प्रकृति, जन्म-मृत्यु और दुःखों की गुलामी करता रहेगा ! गुरुपूर्णिमा का यह उत्सव उत्थान के लिए आयोजित किया गया है। तू विलम्ब किये बिना इस उत्सव में आकर अत्यन्त …

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गुरु की आवश्यकता क्यों ?


बात दो टूक, पर है सच्ची ! स्वामी श्रीअखंडानंदजी सरस्वती यूँ तो प्रत्येक ज्ञान में गुरु की अनिवार्य उपयोगिता है परंतु ब्रह्मज्ञान के लिए तो दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है। गुरु के बिना उपासना-मार्ग के रहस्य मालूम नहीं होते और न उसकी अड़चनें दूर होती है। जो उपासना करना चाहता है, वह गुरु के …

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गुरू आज्ञा सम पथ्य नहीं


(पूज्य बापूजी के सत्संग प्रवचन से) उज्जयिनी (वर्तमान में उज्जैन) के राजा भर्तृहरि से पास 360 पाकशास्त्री थे भोजन बनाने के लिए। वर्ष में केवल एक एक की बारी आती थी। 359 दिन वे ताकते रहते थे कि कब हमारी बारे आये और हम राजासाहब के लिए भोजन बनायें, इनाम पायें लेकिन भर्तृहरि जब गुरू …

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