भगवान से अपनत्व – स्वामी रामसुखदासजी महाराज
हमने संतों से यह बात सुनी है कि जो भगवान को मान लेता है, उसको अपना स्वरूप जना देने की जिम्मेदारी भगवान पर आ जाती है। कितनी विलक्षण बात है ! ‘भगवान कैसे हैं, कैसे नहीं है’ – इसका ज्ञान उसको खुद को नहीं करना पड़ता। वह तो केवल मान लेता है कि ‘भगवान हैं।’ …